(नई दिल्ली)01जून,2024.
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) स्टार्टअप इकोसिस्टम और बड़े पैमाने पर उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए विभिन्न उपाय कर रहा है, ताकि स्टार्टअप्स के साथ समर्थन और सहयोग करके तथा विनिर्माण इनक्यूबेटर्स विकसित करके विनिर्माण में नवाचार को प्रोत्साहन दिया जा सके।
तीव्र औद्योगीकरण और विनिर्माण विभिन्न देशों के लिए आर्थिक विकास के महत्वपूर्ण संचालक हैं। विनिर्माण क्षेत्र में प्रगति और मजबूत विनिर्माण आपूर्ति श्रृंखला बनाने से यह निर्धारित होता है कि कोई देश किस सीमा तक निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था और विश्व स्तर पर एक पसंदीदा व्यापारिक भागीदार बन सकता है। एक मजबूत विनिर्माण आधार विकसित करना किसी भी देश के लिए एक आवश्यक गतिविधि है क्योंकि यह नवाचार और प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहन देता है, रोजगार, आजीविका और जीवन स्तर को बढ़ावा देता है और आत्मनिर्भरता व आर्थिक स्थिरता को मजबूत करता है।
ऐतिहासिक सुधारों और पहलों ने हाल के वर्षों में भारत की विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाया है और भारत ने अपने विनिर्माण पोर्टफोलियो में महत्वपूर्ण विविधीकरण देखा है। विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए दीर्घकालिक पहल के माध्यम से, भारत नवाचार, प्रौद्योगिकी और कुशल श्रम के नेतृत्व में विनिर्माण के लिए एक गतिशील केंद्र के रूप में उभरा है।
उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ विनिर्माण नवाचार पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है। हाल के दिनों में नवाचार में वृद्धि से विनिर्माण प्रौद्योगिकी और वैज्ञानिक सफलताओं में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। देश में स्टार्टअप और उद्यमी घरेलू स्तर पर निर्माण और नवाचार करके वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं को भारत में स्थानांतरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इस वृद्धि के साथ-साथ देश में उत्पादित वस्तुओं की गुणवत्ता में समग्र वृद्धि हुई है और वैश्विक स्थिति और व्यापार संबंधों में सुधार हुआ है। ऐसे विनिर्माण स्टार्टअप्स और नवोन्मेषी उद्यमों ने देश के लिए लाखों नौकरियां भी सृजित की हैं। विनिर्माण और उत्पाद स्टार्टअप्स के माध्यम से, विनिर्माण प्रक्रियाओं में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का एकीकरण नवीन प्रौद्योगिकी समाधानों के निर्माण के केंद्र के रूप में भारत की स्थिति को और मजबूत कर सकता है।
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) के सहयोग से स्टार्टअप इकोसिस्टम द्वारा आयोजित पहले ‘स्टार्टअप महाकुंभ’ उत्सव के दौरान, बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) मैन्युफैक्चरिंग में इनक्यूबेटर्स और स्टार्टअप्स के लिए समर्पित मंडप स्थापित किए गए, जिसमें मैन्युफैक्चरिंग इनक्यूबेटर्स के महत्व और संस्थानीकरण पर विचार-विमर्श हुआ। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने हाल ही में ‘ओएनडीसी-स्टार्टअप महोत्सव’ का भी आयोजन किया था जिसमें उभरते व्यवसायों और यूनिकॉर्न की भागीदारी देखी गई थी, जिन्हें घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए स्टार्टअप के साथ समग्र और संपूर्ण एकीकरण का पता लगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया गया था। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) अपनी विश्वस्तरीय सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए अपने स्वायत्त संस्थानों के माध्यम से विनिर्माण इंक्यूबेटर्स को भी प्रोत्साहन दे रहा है। हाल ही में, राष्ट्रीय सीमेंट और भवन निर्माण सामग्री परिषद (एनसीसीबीएम) ने सीमेंट और भवन निर्माण सामग्री उद्योग में स्टार्टअप का सहयोग करने के लिए सीमेंट और भवन सामाग्री -इन्क्यूबेशन केंद्र के लिए राष्ट्रीय परिषद (एनसीबी-आईसी) का उद्घाटन किया। इसी तरह, राष्ट्रीय रबर विनिर्माण अनुसंधान संघ (आईआरएमआरए) भी संबंधित उत्पाद खंडों में इन्क्यूबेशन केंद्र स्थापित कर रहा है। उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने विनिर्माण इनक्यूबेटर स्थापित करने के महत्व और विनिर्माण स्टार्टअप के साथ सक्रिय सहयोग के लाभों पर बल देने के लिए सौ से अधिक बड़े कॉरपोरेट्स, उद्योग संघों और दिग्गजों और यूनिकॉर्न तक सक्रिय रूप से पहुंच बनाई है।
विनिर्माण स्टार्टअप को विकसित होने और बड़े पैमाने पर होने के लिए कई इकोसिस्टम हितधारकों के समर्थन की आवश्यकता होती है। विनिर्माण केंद्रित इनक्यूबेटर स्टार्टअप के लिए समर्थन के सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक हैं क्योंकि वे आवश्यक पायलट, स्केलिंग और विनिर्माण सुविधाएं प्रदान करते हैं जो उत्पाद स्टार्टअप को प्लग एंड प्ले विकल्प प्रदान कर सकते हैं, जिससे उच्च पूंजीगत व्यय निवेश का बोझ कम हो जाता है। ये इनक्यूबेटर नवीन उत्पाद विकास और शुरुआती चरण के विनिर्माण का समर्थन करने के लिए स्टार्टअप के लिए साझा सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे इकोसिस्टम के विकास और विस्तार का मार्ग प्रशस्त होता है। वे स्टार्टअप और मध्यम तथा बड़े पैमाने की कंपनियों के बीच एक इंटरफेस के रूप में भी कार्य करते हैं जो विनिर्माण, परीक्षण स्थल, प्रोटोटाइप सुविधाओं के डिजाइन केंद्रों एवं प्रौद्योगिकी प्रबंधन, बाजार पहुंच और जोखिम पूंजी के लिए प्रायोगिक सुविधाओं तक पहुंच प्रदान करते हैं।
ऐसे इनक्यूबेटर विभिन्न संस्थाओं जैसे कॉर्पोरेट, शैक्षणिक संस्थानों और अनुसंधान संस्थानों द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं। विशेष रूप से कॉरपोरेट्स के लिए, विनिर्माण स्टार्टअप को प्रोत्साहन देना और बढ़ावा देना तेजी से प्रतिस्पर्धी वैश्विक बाजार में विभिन्न प्रकार के लाभ और फायदे प्रदान करता है। कॉर्पोरेट इनक्यूबेटर व्यवसायों को इनक्यूबेटेड स्टार्टअप से प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से स्टार्टअप की नवीन क्षमता का लाभ उठाने की अनुमति दे सकते हैं और अभूतपूर्व उत्पादों के सह-निर्माण की सुविधा प्रदान कर सकते हैं। कॉरपोरेट्स बाज़ारों में प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्राप्त कर सकते हैं और तेजी से नए ग्राहक प्राप्त कर सकते हैं, क्योंकि इनक्यूबेटेड स्टार्टअप के साथ काम करने से कॉरपोरेट्स को अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) लागत और समय को कम करने में मदद मिल सकती है। स्टार्टअप्स और इनोवेटर्स के साथ काम करने से अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलने से कॉरपोरेट्स को आंतरिक टीमों को बढ़ाने और इंट्राप्रेन्योरशिप को बढ़ावा देने में सहायता मिल सकती है, जिससे अर्थव्यवस्था में समग्र प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रोत्साहन मिलेगा।
कॉरपोरेट अपने पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर इन-हाउस इनक्यूबेटर और इनक्यूबेशन कार्यक्रमों को कई तरीकों से संस्थागत बना सकते हैं। इन्क्यूबेशन गतिविधियों के पैमाने और दायरे को कॉर्पोरेट के लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए अनुकूलित किया जा सकता है। पहला कदम छोटे समूहों को शामिल करते हुए छोटे पैमाने के इनक्यूबेशन कार्यक्रमों से शुरू करना होगा और धीरे-धीरे विशेष दीर्घकालिक कार्यक्रमों के साथ एक निजी या गैर-लाभकारी संगठन के रूप में एक अलग इकाई स्थापित करने की दिशा में काम करना होगा। कॉरपोरेट अपने पास उपलब्ध संसाधनों के आधार पर स्टार्टअप्स को सहयोग और सहायता की सीमा निर्धारित कर सकते हैं, जो आवश्यकताओं और ज़रूरत के अनुसार बढ़ सकती है। एक मजबूत प्रक्रिया और ढांचा जो प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और प्रौद्योगिकी खरीद की अनुमति देता है, स्टार्टअप और कॉरपोरेट्स के बीच पारस्परिक रूप से लाभदायक सहयोग को प्रोत्साहन देगा।
पात्र संस्थाएं स्टार्टअप इंडिया पहल, अटल इनक्यूबेशन सेंटर (एआईसी), नेशनल इनिशिएटिव फॉर डेवलपिंग एंड हार्नेसिंग इनोवेशन (एनआईडीएचआई), टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन एंड डेवलपमेंट ऑफ एंटरप्रेन्योर्स (टीआईडीई) जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), और रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडेक्स) जैसी सरकारी पहलों के माध्यम से इनक्यूबेटर या इनक्यूबेटर कार्यक्रमों के लिए विस्तारित लाभ प्राप्त करने का भी पता लगा सकती हैं।
भारत के लिए वैश्विक मंच पर आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनने के लिए विनिर्माण एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। स्टार्टअप इकोसिस्टम के सभी हिस्से अधिक विनिर्माण इनक्यूबेटर्स के निर्माण के माध्यम से विनिर्माण स्टार्टअप का समर्थन करने के लिए एक साथ आ सकते हैं जो राष्ट्र की समग्र विनिर्माण क्षमताओं के नवाचार और विकास को बढ़ावा देगा। स्थापित कॉरपोरेट्स और आगामी स्टार्टअप्स के बीच इस तरह का सहयोग एक पारस्परिक रूप से लाभप्रद वातावरण तैयार करेगा, जो अंततः राष्ट्र के समग्र विकास में योगदान करते हुए प्रत्येक इकाई को अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायता करेगा।