(वाराणसी)11अक्टूबर,2024.
महात्मा बुद्ध की उपदेश स्थली सारनाथ का महत्व वैसे तो पूरी दुनियां में है। इस महत्व को और भी विराट रूप देने का बीड़ा वाराणसी सहित देश के अन्य हिस्सों के बुद्धिजीवियों ने उठाया है। वाराणसी से एक सांस्कृतिक यात्रा की शुरूआत की जाने वाली है। इस यात्रा में बीएचयू सहित देश भर के कवि और प्रोफेसर शामिल होंगे। दस दिनों तक ये यात्रा चलेगी और बारह जगहों से गुजरेगी और ये वो जगह होगी जिनका जुड़ाव महात्मा बुद्ध से होगा। संभावना है कि यात्रा की शुरूआत 25 अक्टूबर से होगी।
बता दें कि सारनाथ से ये यात्रा शुरू होगी। पहला पड़ाव बोध गया होगा, जहां पर गौतम बुद्ध को ज्ञान मिला। इसके बाद राजगीर, पटना, वैशाली, केसरिया, कुशीनगर, लुंबिनी, कपिलवस्तु, श्रावस्ती, अयोध्या, कौशांबी से होते हुए वापस ये यात्रा 25 अक्तूबर को सारनाथ में पूरी होगी।
इस सांस्कृतिक यात्रा के संयोजक बीएचयू हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि गौतम बुद्ध पर एक नई इबारत लिखी जा रही है। उनके पदचिन्हों पर चलकर मानवता की बात करनी है।
इस यात्रा में कई जाने-माने कवि, लेखक, कलाकार, इतिहासकार और समाज विज्ञानी अलग-अलग पड़ावों पर जुड़ेंगे। यात्रा का उद्देश्य पर गौर करें तो भगवान बुद्ध के अलग-अलग पड़ावों पर रहने वाले लोगों से संवाद करना भी है। इस काम में कई नई जानकारियां भी मिल सकती हैं।
इस यात्रा में जो भी हासिल होगा, उसको आगे पूरी दुनिया में पहुंचाना है। जिससे विश्व शांति का मकसद भी बेहतर हो सके। इस यात्रा के बीच में कोई भी जुड़ सकता है। 15 अक्तूबर को सारनाथ में सुबह से इस यात्रा की शुरुआत हो सकती है।
आपको बता दें कि आज दुनियां मे शांति के संदेश की बड़ी जरूरत महसूस की जा रही है। महात्मा बुद्ध का जुड़ाव वाराणसी से भी है लिहाजा काशी से महात्मा के ज्ञान की स्थली के साथ उनसे जुड़ी हर एक चीज को खंगालकर बुद्धिजीवी आने वाले दिनों में हर एक स्थित को सुधारने का मंत्र तलाशने वाले हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि ये यात्रा न सिर्फ देश बल्कि दुनियां के लिए संदेश देने का काम करने वाली है। यात्रा को लेकर तैयारी की जा रही है। जल्द ही इसे अंतिम रूप देकर शांति स्थापना का प्रयास आगे बढ़ाया जाना है(साभार एजेंसी)