(वाराणसी UP)30अप्रैल,2025.
अनादि तीर्थ मणिकर्णिका पर विराजमान चक्रपुष्करिणी कुंड में श्रद्धालु अक्षय तृतीया पर मां मणिकर्णिका के दर्शन करेंगे। अक्षय पुण्य की कामना से उत्तराभिमुख गोमुख में डुबकी भी लगाएंगे। श्रद्धालुओं को साल में सिर्फ एक दिन ही मां मणिकर्णिका के दर्शन होते हैं।
अक्षय तृतीया यानी 30 अप्रैल को 16 घंटे तक श्रद्धालुओं को मां के दर्शन मिलेंगे। मां मणिकर्णिका काशी की गलियों से निकलकर चक्रपुष्करिणी कुंड पर विराजमान होंगी। वैशाख शुक्ल तृतीया को रात नौ बजे मणिकर्णिका कुंड पर मां मणिकर्णिका का वार्षिक शृंगार होगा। तीर्थ पुरोहित जयेंद्र नाथ दुबे बब्बू महाराज ने बताया कि साल में सिर्फ एक दिन मां मणिकर्णिका की शोभायात्रा कुंड तक निकलती है।
श्रद्धालुओं के कंधे पर विराजमान होकर मां काशी की गलियों में निकलेंगी। 30 अप्रैल को मां की प्रतिमा को ब्रह्मनाल स्थित महंत आवास से चक्रपुष्करिणी कुंड तक पालकी में लाया गया। रात में मां मणिकर्णिका की अष्टधातु की ढाई फीट ऊंची प्रतिमा तीर्थ कुंड में स्थित 10 फीट ऊंचे पीतल के आसन पर स्थापित की जाएगी। इसके बाद फूलों और नए वस्त्रों से झांकी सजाई जाएगी।
रात भर चक्रपुष्करिणी कुंड पर विराजमान होकर मां दर्शन देंगी। कुंड का जल भी मां के पूजन से ऊर्जित होगा। रात भर भजन कीर्तन के बाद एक मई को मध्याह्न में चक्रपुष्करिणी कुंड में उत्तराभिमुख गोमुख में श्रद्धालु अक्षय पुण्य के लिए स्नान करेंगे। पुरोहित जयेंद्र नाथ दुबे ने बताया कि इस तिथि पर चक्रपुष्करिणी कुंड में स्नान करने मात्र से ही व्यक्ति को चारों धाम का फल प्राप्त होता है।
साल भर मंदिर में ही विराजमान रहती है माता की प्रतिमा:
मां मणिकर्णिका की प्रतिमा साल भर ब्रह्मनाल स्थित महंत आवास के मंदिर में विराजमान रहती है। मान्यता है कि माता की अष्टधातु की प्रतिमा मणिकर्णिका कुंड से निकली थी। सिर्फ अक्षय तृतीया को पालकी पर सवार होकर दर्शन-पूजन के लिए कुंड पर स्थापित की जाती है। दूसरे दिन देवी की प्रतिमा को कुंड में स्नान कराया जाता है।
मान्यता है कि मां मणिकर्णिका के स्नान के बाद तीर्थ कुंड का जल अगले एक वर्ष के लिए सिद्ध हो जाता है और इसी जल में स्नान करने से श्रद्धालुओं के पाप और कष्ट दूर होते हैं। मणिकर्णिका कुंड में अक्षय तृतीया के दिन मां मणिकर्णिका का दर्शन-पूजन किया जाता है। अगले दिन चक्रपुष्करिणी कुंड में आस्था की डुबकी लगाने वालों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।(साभार एजेंसी)