(प्रयागराज, UP)04जुलाई,2025.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) व पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम (पीवीवीएनएल) के प्रस्तावित निजीकरण को चुनौती दी गई है। यह याचिका प्रयागराज के मेजा के विजय प्रताप सिंह की ओर से अधिवक्ता अरुण मिश्रा ने दाखिल की है।
याचिका में कहा गया है कि निजीकरण का निर्णय जनविरोधी है। ऐसे में प्रस्तावित निजीकरण को रद्द किया जाना चाहिए। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में हिस्सेदारी कम करने का सरकार का प्रयास कंपनी अधिनियम 2013 और विद्युत अधिनियम 2003 के नियमों का उल्लंघन है। कंपनी की संपत्ति के मूल्यांकन और उसके विनिवेश के लिए उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है। याचिकाकर्ता का दावा है कि निजीकरण का तर्क जो घाटे पर आधारित है, काल्पनिक है। क्योंकि, निम्न आय वर्ग को दी गई सब्सिडी का पैसा डिस्कॉम को राज्य सरकार की ओर से वापस नहीं किया गया है।
याचिकाकर्ता ने यूपीपीसीएल और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के कुप्रबंधन और लालफीताशाही का आरोप लगाया है। यह भी बताया गया है कि यूपीपीसीएल के वरिष्ठ अधिकारी निर्धारित अर्हता नहीं रखते हैं, फिर भी वे बिजली के सबसे तकनीकी काम को संभाल रहे हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को अधिक बिजली शुल्क का भुगतान करना पड़ सकता है। कोर्ट से मांग की गई है कि परमादेश जारी कर प्रतिवादियों यूपीपीसीएल, पीवीवीएनएल के प्रबंधन को पेशेवर और तकनीकी रूप से योग्य व्यक्तियों को सौंपा जाए। साथ ही यूपीपीसीएल से अध्यक्ष का पद समाप्त करने की मांग की गई है(साभार एजेंसी)