(नई दिल्ली)29सितम्बर,2025
एजेंसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि भारत और रूस के बीच आर्थिक साझेदारी खतरे में नहीं है। भारतीय प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने साफ कर दिया है कि भारत अपने साझेदार खुद चुनता है। लावरोव भारत पर रूस से तेल खरीदने को लेकर अमेरिका की ओर से संभावित द्वितीयक प्रतिबंध लगाने के सवाल का जवाब दे रहे थे।
लावरोव ने आगे कहा, ‘यदि अमेरिका के पास भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को समृद्ध करने के प्रस्ताव हैं, तो वे इसके लिए शर्तों पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं, चाहे अमेरिका जो भी शर्तें रखे। लेकिन जब बात भारत और तीसरे देशों के बीच व्यापार, निवेश, आर्थिक, सैन्य, तकनीकी और अन्य संबंधों की आती है, तो यह ऐसी चीज है जिस पर भारत केवल संबंधित देशों के साथ ही चर्चा करेगा।’
हम भारत के राष्ट्रीय हितों का पूरा सम्मान करते हैं: लावरोव
भारत और रूस संबंधों पर लावरोव ने कहा, हम भारत के राष्ट्रीय हितों का पूरा सम्मान करते हैं और पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा इन हितों को बढ़ावा देने वाली विदेश नीति का भी। हम उच्चतम स्तर पर नियमित संपर्क में रहते हैं। लावरोव ने आगे कहा, ‘भारत और अमेरिका या भारत और किसी अन्य देश के बीच जो भी परिस्थितियां पैदा हों, उन्हें रूस-भारत संबंधों का मानदंड नहीं माना जा सकता। हमारा भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी का लंबा अनुभव है। शुरुआत में इसे ‘रणनीतिक साझेदारी’ कहा गया, बाद में इसे ‘विशेष रणनीतिक साझेदारी’ और अब ‘विशेष रूप से विशेष रणनीतिक साझेदारी’ कहा जाता है।’
दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन की नई दिल्ली यात्रा की योजना
लावरोव ने आगे कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन चीन में एससीओ शिखर सम्मेलन में तियानजिन में मिले थे। दिसंबर में राष्ट्रपति पुतिन की नई दिल्ली यात्रा की योजना भी बनाई जा रही है। लावरोव ने कहा, ‘हमारे पास एक बहुत व्यापक द्विपक्षीय एजेंडा है, जिसमें व्यापार, सैन्य, तकनीकी सहयोग, वित्त, मानवीय मामले, स्वास्थ्य सेवा, उच्च तकनीक, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, और निश्चित रूप से शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ), ब्रिक्स और द्विपक्षीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घनिष्ठ समन्वय शामिल है।’
इस साल रूस का दौरा करेंगे एस जयशंकर
लावरोव ने यह भी कहा कि इस साल मेरे सहयोगी सुब्रह्मण्यम जयशंकर रूस का दौरा करेंगे और मैं भारत का। उन्होंने कहा, ‘हम नियमित रूप से संपर्क में रहते हैं। मुझे यह नहीं पूछना कि हमारे व्यापार या तेल संबंधों का क्या होगा। हमारे भारतीय सहयोगी अपने फैसले खुद करने में सक्षम हैं। मेरे सहयोगी ने कहा था, यदि अमेरिका हमें अपना तेल बेचना चाहे, तो हम उस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। लेकिन जो हम अन्य देशों, विशेष रूप से रूस से खरीदते हैं, वह केवल हमारा काम है और इसका भारतीय-अमेरिकी एजेंडा से कोई लेना-देना नहीं।'(साभार एजेंसी)