(लखनऊ)18सितंबर,2024.
उत्तर प्रदेश के राजकीय आयुष कॉलेजों में 30 फीसदी सीटें कम हो गई हैं। तीनों विधा के कॉलेजों में सरकारी क्षेत्र की 1714 सीटों में सिर्फ 1211 सीट पर ही अभी तक दाखिले की अनुमति मिली है। सीटें कम होने की मूल वजह चिकित्सा शिक्षकों व संसाधनों की कमी है। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज बांदा को अभी तक मान्यता ही नहीं मिल पाई है। जबकि यूनानी और होम्योपैथिक कॉलेजों को सीटों में कटौती करते हुए सशर्त मान्यता मिली है। हालांकि विभाग का दावा है कि दूसरी काउंसिलिंग तक कुछ सीटें बढ़ जाएंगी। इसके लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश के आठ राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेजों में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की 588 सीटें हैं। इसमें प्रयागराज के हड़िया और बांदा के अतर्रा स्थित कॉलेज में 75-75 सीटें हैं। रिक्त पदों को भरने का हलफनामा देने के बाद हड़िया में पढ़ाई शुरू करने की सशर्त अनुमति मिल गई है, लेकिन राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज अतर्रा बांदा की मान्यता फंस गई है। यहां शिक्षकों की कमी के साथ ही मरीजों की संख्या सहित तमाम तरह की कमियां हैं। राजकीय आयुर्वेदिक कॉलेज टुड़ियागंज लखनऊ को छोड़कर अन्य कॉलेजों में भी सीटें घटा दी गई हैं। नेशनल कमीशन फॉर इंडियन सिस्टम ऑफ मेडिसिन (एनसीआईएमएस) ने प्रदेश में बीएएमएस के लिए अभी तक 588 के सापेक्ष 337 सीट की मान्यता दी है।
होम्योपैथी के नौ कॉलेजों में बैचलर ऑफ होम्योपैथिक मेडिसिन एंड सर्जरी की 976 सीटें हैं। नेशनल कमीशन फॉर होम्योपैथी ने 755 सीटों को मान्यता दी है। यूनानी के दो कॉलेजों में बैचलर ऑफ यूनानी मेडिसिन एंड सर्जरी (बीयूएमएस) की 150 सीटों के सापेक्ष 119 सीट पर सशर्त दाखिले की अनुमति मिली है। कॉलेजों में सीटें कम होने की मूल वजह चिकित्सा शिक्षकों की कमी बताई जा रही है। कुछ स्थानों पर मानक के अनुसार मरीज और अन्य संसाधनों की कमी पाई गई है। हालांकि आयुष विभाग का दावा है कि तीनों विधा के कॉलेजों में शिक्षक भर्ती प्रक्रिया चल रही है। ऐसे में दूसरे चरण की काउंसिलिंग के दौरान सीटें बढ़ सकती हैं। इसके लिए आयुष मंत्रालय की मान्यता से जुड़ी केंद्रीय कमेटियों को हलफनामा भी भेजा गया है(साभार एजेंसी)