(गोरखपुर)20सितंबर,2024.
गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि गोरक्षपीठ को साधना स्थली बनाकर सनातन धर्म के परिपूर्ण स्वरूप के अनुरूप आचरण करने वाले युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज आजीवन भारतीयता के मूल्यों और आदर्शों के लिए लड़ते रहे। उनके बताए मूल्यों और आदर्शों ने भारतीयता के नवनिर्माण, पूर्वी उत्तर प्रदेश और गोरखपुर में सुसंस्कृत समाज की नींव रखी। उनके विचारों और उनके कृतित्वों से हमें आज भी निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है।
सीएम योगी युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं तथा राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धाजंलि समारोह के अंतर्गत शुक्रवार (आश्विन कृष्ण तृतीया) को महंत दिग्विजयनाथ की पुण्यतिथि पर अपनी भावाभिव्यक्ति कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गोरक्षपीठ के उनके पूर्ववर्ती दोनों पीठाधीश्वरों युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज और राष्ट्र संत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज का पूरा जीवन देश और धर्म के लिए समर्पित था। उन्होंने धर्म को केवल उपासना विधि नहीं माना बल्कि भारतीय मनीषा में धर्म के जिसे स्वरूप की बात कही गई है, उसके अनुरूप जीवन जिया। धर्म के दो हेतु होते हैं। एक सांसारिक उत्कर्ष और दूसरा निःश्रेयस। दोनों ही संतों ने धर्म के इन दोनों स्वरूपों को लेकर समाज का मार्गदर्शन किया।
सभ्य और समर्थ समाज के लिए पहली आवश्यकता है शिक्षा:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि एक सभ्य और समर्थ समाज के लिए पहली आवश्यकता शिक्षा की होती है। इसी उद्देश्य को समझते हुए महंत अवेद्यनाथ जी ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की। यह काम धनोपार्जन के लिए नहीं बल्कि लोक कल्याण के लिए किया गया। उन्होंने कहा कि देश के आजाद होने के बाद किसी जगह विश्वविद्यालय बनाने के लिए तत्कालीन राज्य सरकार को 50 लाख रुपये नकद या इतने की संपत्ति की जरूरत होती थी।
महंत दिग्विजयनाथ ने गोरखपुर में विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए, इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र बनाने के लिए शिक्षा परिषद की संस्था एमपी बालिका डिग्री कॉलेज की संपत्ति दे दी। उस समय की 50 लाख की संपत्ति का आज के समय में मूल्य 500 करोड़ रुपये होगा। तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र में अपने समय में योगदान करते हुए महंत दिग्विजयनाथ जी ने 1956 में एमपी पॉलिटेक्निक और चिकित्सा शिक्षा के लिए साठ के दशक में आयुर्वेद कॉलेज की स्थापना कर दी थी। इन प्रकल्पों को आगे बढ़ाने का काम महंत अवेद्यनाथ जी महाराज ने किया।(साभार एजेंसी)