(लखनऊ UP)25जनवरी,2025.
उत्तर प्रदेश के निजी मेडिकल कॉलेजों पर शिकंजा कसा जा रहा है। सात कसौटियों पर इनकी व्यवस्थाएं परखी जा रही हैं। इसके लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के तीन संकाय सदस्यों की कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी अचानक संबंधित कॉलेज में पहुंच रही है और आधारभूत सुविधाएं, संकाय सदस्यों का ब्योरा, जमा होने वाली फीस सहित सात बिंदुओं पर रिपोर्ट तैयार कर रही है। पिछले दो दिन में करीब 15 कॉलेजों की औचक जांच की गई है।
उत्तर प्रदेश में 36 निजी मेडिकल कॉलेज हैं। इनमें से तीन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और चार अल्पसंख्यक कोटे के हैं। इनमें एमबीबीएस की 6,600 सीटें हैं। वहीं, सरकारी कॉलेजों में 5250 सीटें हैं। निजी कॉलेजों की व्यवस्थाओं की नए सिरे से पड़ताल शुरू की गई है। इसके लिए सरकारी मेडिकल कॉलेजों के तीन-तीन प्रोफेसरों की कमेटी बनाई गई है।
चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह ने कमेटियों को कॉलेज आवंटित करते हुए औचक स्थलीय निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं। इसमें कहा है कि संबंधित कॉलेज की नेशनल मेडिकल कमीशन के मानकों के अनुरूप निरीक्षण किया जाए। जांच के बाद कमेटी को दो दिन में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। इन कमेटियों ने दो दिन में करीब 15 कॉलेजों की जांच कर ली।
इन बिंदुओं पर हो रही जांच:
- मेडिकल कॉलेजों में उपलब्ध आधारभूत संरचना।
- कार्यरत चिकित्सा संकायों की तीन माह की उपस्थिति।
- कार्यरत चिकित्सा संकायों की छह माह की सैलरी स्लिप।
- ओपीडी, आईपीडी, ओटी सहित अन्य क्लीनिकल मैटेरियल की अलग-अलग रिपोर्ट।
- अध्ययनरत विद्यार्थियों से लिए जा रहे शिक्षण शुल्क का ब्योरा।
- अध्ययनरत विद्यार्थियों से वार्ता कर गुणवत्ता संबंधित फीडबैक।
- मौके पर जांच कमेटी को जो अन्य जरूरी बिंदु लगे।
औचक निरीक्षण को उत्पीड़न मान रहे निजी कॉलेज:
निजी कॉलेज संचालक इस औचक निरीक्षण को उत्पीड़न मान रहे हैं। अमर उजाला से बातचीत में (नाम नहीं छापने की शर्त पर) कई कॉलेज संचालकों ने बताया कि आधारभूत सुविधाएं सहित अन्य बिंदुओं की जांच के बाद ही उन्हें मान्यता मिली है। सत्र चालू है। ऐसे में डीजीएमई की टीम को जांच का अधिकार नहीं है। कुछ कॉलेज संचालकों ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्होंने फीस निर्धारण के मामले में हाईकोर्ट में मुकदमा दायर कर रखा है। इस वजह से भी उनकी जांच कराई जा रही है। उन्होंने कहा, पहले सरकारी कॉलेजों की व्यवस्थाएं दुरुस्त की जाएं। फिर उन्हें निजी कॉलेजों के लिए नजीर के रूप में पेश किया जाए।
इन बिंदुओं पर नहीं की गई जांच :
नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने सभी कॉलेजों को वार्षिक घोषणा पत्र जारी करने का निर्देश दिया है। सभी कॉलेजों को अपनी बेवसाइट बनाकर संकाय सदस्यों का ब्योरा देने व बायोमीट्रिक हाजिरी का भी निर्देश दिया है। जांच कमेटी इन बिंदुओं पर फोकस नहीं कर रही है।(साभार एजेंसी)