(वाराणसी UP)09फ़रवरी,2025.
पुलिस कमिश्नरेट की वेबसाइट और सोशल मीडिया अकाउंट्स पर चैटबॉट की सेवा शुरू की जाएगी। इसके माध्यम से आमजन चैटिंग करके साइबर क्राइम से संबंधित कोई भी जानकारी या सूचना निशुल्क प्राप्त कर सकेंगे। यह सेवा मार्च महीने से शुरू हो जाएगी।
इस चैटबॉट से नजदीकी पुलिस स्टेशन और साइबर हेल्प डेस्क की जानकारी भी मिल सकेगी। यह बातें डीसीपी गोमती जोन/ क्राइम प्रमोद कुमार ने चांदपुर स्थित एक प्रतिष्ठित समाचार पत्र के कार्यालय में आयोजित संवाद में कहीं।
डीसीपी प्रमोद कुमार ने कहा कि तेजी से बढ़ते साइबर क्राइम के इस दौर में फोन कर कोई पैसा दे रहा है या मांग रहा है तो उससे कहें कि सामने आकर लो या दो। डेबिट-क्रेडिट कार्ड या नेट बैंकिंग और ई-मेल के साथ ही सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड को लेकर अतिरिक्त सतर्कता बरतें। घर में वाई-फाई लगवाएं तो उसका पासवर्ड तत्काल बदल दें।
एडीसीपी क्राइम श्रुति श्रीवास्तव ने कहा कि वर्चुअल वर्ल्ड में आप जितने अपडेट और अलर्ट रहेंगे, उतने ही ज्यादा सुरक्षित रखेंगे। सीबीआई, ईडी, क्राइम ब्रांच, पुलिस, ट्राई या आरबीआई से खुद को बताते हुए कोई कॉल करे तो तत्काल सतर्क हो जाएं और संयम से काम लें। इस दौरान कमिश्नरेट की साइबर सेल के सब इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार जायसवाल और कांस्टेबल विराट सिंह मौजूद रहे।
काम आ सकते हैं ये टिप्स
सेक्सटॉर्शन के केस में लोग खुलकर सामने नहीं आते। समाज पीड़ित को ही गुनहगार मान लेता है कि पहले उसी ने कुछ किया होगा। मोबाइल पर आए किसी लिंक को क्लिक न करें। आपके परिचित भी अनजान नंबर से व्हाट्स एप वीडियो कॉल करें तो रिसीव न करें। – प्रमोद कुमार, डीसीपी गोमती जोन / क्राइम
साइबर क्रिमिनल जॉब पोर्टल से देख रहे हैं कि किसे कैसी नौकरी की जरूरत है। वहां से डेटा लेकर जॉब खोजने वाले को कॉल कर नौकरी दिलाने की बात करते हैं। हाल ही में एक व्यक्ति से 80 लाख रुपये ऐंठ लिया गया। इसलिए सतर्कता हर हाल में बरतें। – श्रुति श्रीवास्तव, एडीसीपी क्राइम
साइबर फ्रॉड में लूटा गया पैसा यदि क्रिप्टो करेंसी में कन्वर्ट कर दिया गया हो तो रिकवरी का कोई सिस्टम नहीं बना है। डिजिटल अरेस्ट के केस बढ़ रहे हैं। ईगल स्पाई ऐसा एप है जो कि फोन फार्मेट करने के बाद भी अनइंस्टॉल नहीं होता। – मृत्युंजय सिंह, साइबर एक्सपर्ट
पत्नी के अकाउंट में 30 हजार रुपये आने का मैसेज आया। भेजने वाले ने गलती से ट्रांजेक्शन होने की बात कही। पत्नी ने पहले एक हजार भेजा। हालांकि बैंक ने ध्यान देते हुए एक घंटे के लिए सभी ट्रांजेक्शन को रोक दिया। – अनुपम द्विवेदी, अधिवक्ता
तीन सेकेंड में हैलो कौन हैं… इतना बोलने पर ही आपके वायस की क्लोन तैयार हो जा रही है। साइबर क्राइम का काम वही पुलिसकर्मी करें, जिनकी इस फील्ड में रुचि हो और जो नया सीखने के लिए उत्सुक हों। साइबर क्राइम के नए मामले जैसे डीपफेक पर कंट्रोल करना होगा। – आयुष्मान सिंह, अधिवक्ता, सुप्रीम कोर्ट
छात्राओं को आसानी से निशाना बनाया जाता है। उनके फोन नंबर और ई-मेल आसानी से साझा हो रहे हैं। बीएचयू समेत जिले के हर बड़े स्कूलकी वेबसाइट पर साइबर क्राइम से सुरक्षा संबंधी उपायों और उसकी लिंक को फ्लैश करना चाहिए। – डॉ. प्रतिमा गोंड, एमएमवी, बीएचयू
साइबर क्राइम पैसे से ज्यादा पीड़ित को मानसिक नुकसान पहुंचा रहा है। सरकार साइबर क्राइम से बच्चों को सुरक्षित करने के लिए ठोस उपाय करे। ऑनलाइन गेम की निगरानी की तगड़ी व्यवस्था बनाई जानी चाहिए। – डॉ. पीके मौर्या, चिकित्साधिकारी
कई बार इन मामलों में आमजन फंसते हैं और निकलने का रास्ता नहीं मिलता। एसएमएस बॉम्बिंग आपको परेशान करने के साथ ही आपके फोन को भी हैंग कर देता है। अज्ञात नंबरों से इतने फोन आते हैं कि निजता का अधिकार जैसी बात निरर्थक साबित होती है। – प्रो. जय सिंह, वसंत महिला महाविद्यालय, राजघाट
साइबर क्राइम के केस के सॉल्व होने का कोई निश्चित समय नहीं बताया जाता। ऐसे कई केस हैं, जिनमें पीड़ित मनोवैज्ञानिक तरीके से व्यथित दिखा। लालच देकर, उत्साहित कर या डरा कर ही साइबर क्राइम का फ्रॉड होता है। – डॉ. मनोज कुमार तिवारी, मनोवैज्ञानिक, बीएचयू
साइबर क्राइम का ज्यादा इस्तेमाल अब राजनीतिक लाभ लेने के लिए भी हो रहा है। युवा इसे अपराध न मान कर मनोरंजन के जैसे देखते हैं। कभी भी किसी अजनबी से अपना, अपने बच्चों या परिवार का विवरण न साझा करें। – डॉ. आशीष सोनकर, वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा
अनजान लिंक पर क्लिक करते ही डेटा चोरी होने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में अपने फोन को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हमारी है। हम अपने परिवार के सदस्यों और अपने करीबियों को साइबर क्राइम के बारे में आगाह करते रहें तो सभी जागरूक हो जाएंगे। – डॉ. शशिकेष गोंड, वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा
गांव-कस्बों में छोटे-छोटे बैंक खुल रहे हैं, वहां आपका अकाउंट और डेटा सुरक्षित नहीं है। मोबाइल में वही एप डाउनलोड करें जो आपके काम के हों। – ऊषा राज मौर्य, एनजीओ संचालिका
डीसीपी क्राइम के सिक्योरिटी टिप्स
एम-कवच 2 (M-Kavach 2) एप मोबाइल में इंस्टॉल करें। इससे मोबाइल में कोई भी एपीके फाइल या मॉलवेयर रहेगा तो उसकी पहचान आसानी से की जा सकेगी।
संचार सारथी पोर्टल पर मोबाइल खोने की शिकायत आसानी से दर्ज करा सकते हैं। आपके आधार कार्ड पर कितने सिम लिए गए हैं, इसकी भी जानकारी ले सकते हैं। फेक कॉल की रिपोर्टिंग कर सकते हैं।
साइबर क्राइम का शिकार होने पर तत्काल 1930 नंबर पर कॉल करें।
साइबर क्राइम की शिकायत www.cybercrime.gov.in पर भी कर सकते हैं।(साभार एजेंसी)