(संत कबीर नगर UP)22फरवरी,2025.
महाशिवरात्रि के पर्व पर जिलाधिकारी महेन्द्र सिंह तंवर व पुलिस अधीक्षक सत्यजीत गुप्ता ने तामेश्वरनाथ धाम का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था व भीड़ प्रबंधन की गई व्यवस्था आदि के संबंध में जानकारी ली। इस दौरान संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं।
जलाभिषेक के लिए लगने वाली लाइन की बैरिकेडिंग और रूट डायवर्जन के बारे में भी विस्तृत चर्चा की गई। दरअसल, संतकबीरनगर जिले में स्थित ऐतिहासिक तामेश्वरनाथ धाम शिवभक्तों के लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है। अलौकिक और पौराणिक मान्यताओं को समेटे यह स्थान सामाजिक गतिविधियों का एक उदाहरण भी रहा है।
यहां करीब एक माह तक चलने वाले महाशिवरात्रि मेले में चालिस वर्ष पहले लोगों के शादी के रिश्ते भी पक्के हुआ करते थे। इस मंदिर के देखरेख का जिम्मा यहां रह रहे भारती परिवार संभालते हैं। जो अपनी बारी के हिसाब से मंदिर की देखरेख करने के साथ ही उससे होने वाली आमदनी को खर्च करने के अधिकारी होते हैं।
महात्मा बुद्ध ने यहीं करवाया था अपना मुंडन संस्कार
गांव के बुजुर्ग लोग बताते हैं कि महात्मा बुद्ध ने अपना मुंडन संस्कार यहीं कराया था। ऐसा उनके पूर्वज बताते थे। मंदिर परिसर में स्थित एक अर्धनारीश्वर मंदिर की आकृति भी बुद्ध कालीन मंदिर की ही तरह बना हुआ है। इस बात की तस्दीक मंदिर पर पहुंची पुरातत्व विभाग की टीम ने भी किया था। आज भी लोग अपने बच्चो का मुंडन संस्कार यहां करवाते हैं।
द्वापर युग में अज्ञातवास के दौरान कुंती ने किया था शिवलिंग की स्थापना
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांडव अपनी माता कुंती के साथ तामेश्वरनाथ धाम में पहुंचे थे। जहां शिव की आराधना के लिए कुंती ने शिवलिंग की स्थापना की थी। मंदिर से थोड़ी दूर रामपुर में स्थित एक पोखरे का निर्माण भी पांडवों ने कराया था।
जो आज द्वापरा के नाम से जाना जाता है। लोगों का ऐसा मानना है कि इस पोखरे का निर्माण द्वापर युग में होने के वजह से इसका नाम द्वापर रहा होगा। पोखरे के निर्माण में प्रयुक्त ईंट भी अपनी ऐतिहासिक स्थिति को बयां करते हैं।(साभार एजेंसी)