बोले ट्रंप ,’जी-8 से रूस को बाहर करना गलती,इसके लिए ओबामा-ट्रूडो जिम्मेदार’,चीन पर भी की टिप्पणी’

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(कैननास्किस,कनाडा)17जून,2025.

सात देशों के समूह यानी जी-7 की बैठक में शामिल होने कनाडा पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस समूह में रूस की वापसी की बात कही है। उन्होंने कहा कि यह समूह कभी जी-8 हुआ करता था। लेकिन रूस को इस समूह से निकाल दिया गया। उन्होंने रूस को बाहर करने को गलती बताया और इसके लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को जिम्मेदार ठहराया। इस दौरान उन्होंने जी-7 में चीन को भी शामिल करने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह चाहेंगे कि यह समूह जी-8 या जी-9 हो जाए।

जी-7 की बैठक में शामिल होने के लिए कैननास्किस पहुंचे ट्रंप ने कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के साथ द्विपक्षीय बातचीत में कहा कि क्रीमिया पर कब्जे के बाद रूस को जी-8 से बाहर करना गलती थी। उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि अगर आपके साथ रूस होता तो अभी युद्ध नहीं होता। अगर चार पहले ट्रंप राष्ट्रपति होते तो भी अभी युद्ध नहीं होता। उनका इशारा यूक्रेन-रूस और इस्राइल-ईरान युद्ध की तरफ था। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस्राइल और ईरान से तुरंत बातचीत शुरू करने का आह्वान भी किया।

ईरान-इस्राइल जंग में अमेरिका की भूमिका पर खुलकर नहीं बोले ट्रंप:
ट्रंप ने यह भी कहा कि अमेरिका ने हमेशा इस्राइल का समर्थन किया है। हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि क्या ईरान और इस्राइल के बीच बढ़ते संघर्ष में अमेरिका सीधे तौर पर शामिल होगा। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे पर बात नहीं करना चाहते। लेकिन यह जरूर कहा कि ईरान यह युद्ध नहीं जीत रहा है। गौरतलब है कि 2014 में यूक्रेन से क्रीमिया को अलग करने के बाद रूस को जी-8 से बाहर कर दिया गया था और उसके बाद यह समूह जी-7 हो गया था।

इस्राइल-ईरान तनाव कम करना होगा:
यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी संघर्ष के बीच कनाडा के चट्टानी पहाड़ों वाले शहर कैननास्किस में जी-7 का दो दिवसीय वार्षिक सम्मेलन सोमवार से शुरू हुआ। ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि सभी जी-7 नेता इस बात पर सहमत हैं कि उन्हें इस्राइल और ईरान के बीच तनाव कम करने का रास्ता खोजना होगा, क्योंकि दोनों देशों के बीच संघर्ष से गाजा में आग भड़कने और वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचने का खतरा है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी अमेरिकी राष्ट्रपति से बातचीत हुई। वहीं, बैठक में शामिल होने के लिए रवाना होने से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कहा कि कोई भी नहीं चाहता कि ईरान को परमाणु हथियार मिले और हर कोई चाहता है कि चर्चा और बातचीत फिर से शुरू हो।

इस्राइल-ईरान से तनाव कम करने का आह्वान:
राजनयिक सूत्रों ने कहा कि जी-7 की बैठक में एक संयुक्त बयान जारी किए जाने की उम्मीद है जिसमें इस्राइल और ईरान से तनाव कम करने, संयम बरतने और आपसी मुद्दों को सुलझाने के लिए बातचीत और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आग्रह किया जाएगा। इस संबंध में एक मसौदा भी तैयार कर लिया गया है जिसमें दोनों पक्षों से संघर्ष कम करने का आह्वान किया गया है। हालांकि, ट्रंप ने इस पर हस्ताक्षर नहीं किया है और व्हाइट हाउस के अधिकारियों का कहना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति हस्ताक्षर नहीं करेंगे। मसौदे में यह भी कहा गया है कि इस्राइल को खुद का बचाव करने का अधिकार है।

पीएम मोदी भी बैठक में होंगे शामिल
इस सम्मेलन में वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ ही व्यापार मतभेदों पर बातचीत होगी। लेकिन ईरान-इस्राइल और यूक्रेन-रूस युद्ध का मुद्दा भी छाए रहने की उम्मीद है। जी-7 समूह में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान शामिल हैं। भारत इसका सदस्य नहीं है, लेकिन मेजबान कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के विशेष निमंत्रण पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बैठक में शामिल होने पहुंचे हैं। इस दौरान उनकी कई वैश्विक नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें भी होंगी।(साभार एजेंसी)

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