ऊर्जा वार्ता 2025 में उपयुक्त ऊर्जा रणनीति तैयार की गई

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(नई दिल्ली ) 18जुलाई,2025.

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने ऊर्जा वार्ता 2025 के अवसर पर आयोजित एक बातचीत के सत्र में बोलते हुए अपस्ट्रीम अन्वेषण एवं उत्पादन (ई एंड पी), ऊर्जा सुगमता और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करने के लिए भारत की व्यापक रणनीति प्रस्तुत की।

श्री पुरी ने रूस-यूक्रेन संघर्ष और मध्य पूर्व में तनाव जैसी वैश्विक भू-राजनीतिक समस्याओं के बीच भारत की ऊर्जा सुरक्षा स्थिति पर प्रश्नों का उत्तर देते हुए कहा कि भारत ने अपने कच्चे तेल के आयात स्रोतों को 27 से 40 देशों तक सक्रिय रूप से विस्तारित किया है। उन्होंने कहा कि यह विविधता वैश्विक अशांति की अवधि के दौरान निर्बाध ऊर्जा पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण उपाय है। रूसी तेल के आयात के विषय पर उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस दुनिया के शीर्ष तेल उत्पादकों में से एक है, जिसका उत्पादन 9 मिलियन बैरल प्रति दिन से अधिक है। उन्होंने चेतावनी दी कि वैश्विक बाजार से कुल लगभग 97 मिलियन बैरल प्रति दिन की आपूर्ति को अचानक हटा देने से अराजकता पैदा होगी, जिससे कीमतें 130 डॉलर से 200 डॉलर प्रति बैरल के बीच पहुंच जाएंगी। श्री पुरी ने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत ने कभी भी कोई प्रतिबंधित माल नहीं खरीदा है। उन्होंने भारत के सक्रिय और संतुलित दृष्टिकोण के लिए प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को श्रेय दिया, जिसने देश को वैश्विक ऊर्जा बाजारों में एक स्थायी शक्ति बना दिया है।

श्री पुरी ने भारत के अपस्ट्रीम क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए पिछले दशक में शुरू किए गए परिवर्तनकारी नीतिगत सुधारों की एक श्रृंखला का उल्लेख किया। प्रमुख परिवर्तनों में, उन्होंने तेल क्षेत्र विनियमन और विकास अधिनियम (ओआरडीए) के अंतर्गत पुनर्कल्पित अन्वेषण ढांचे का उल्लेख किया, जिसमें सह-डिज़ाइन दृष्टिकोण, एकल पट्टा और अनुमोदन व्यवस्था, पारदर्शी परिचालन नियम और निष्क्रिय एकड़ को खत्म करने के लिए “नो-सिट” क्लॉज की शुरुआत शामिल है। संशोधित पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस नियम (पीएनजी नियम 2025) और मॉडल राजस्व साझाकरण अनुबंध (एमआरएससी) के साथ एकीकृत इन उपायों का उद्देश्य व्यावसायिक संचालन को सरल बनाना और निजी निवेश को आकर्षित करना है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने स्वीकार किया कि हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति (एचईएलपी) और ओआरडी अधिनियम में संशोधनों ने पहले से दुर्गम “नो-गो” क्षेत्रों के लगभग 1 मिलियन वर्ग किलोमीटर को अन्वेषण के लिए खोल दिया है।

श्री पुरी ने अपतटीय ऊर्जा के क्षेत्र में भारत की महत्वाकांक्षाओं की पुष्टि करते हुए अंडमान बेसिन की महत्वपूर्ण हाइड्रोकार्बन क्षमता का उल्लेख किया और इसकी तुलना प्रचुर गयाना बेसिन से की। उन्होंने प्रबल रूप से आशा व्यक्त करते हुए कहा, “मुझे विश्वास है कि हमें गयाना के आकार के कई क्षेत्र, विशेष रूप से अंडमान सागर में, मिलेंगे।” यह विश्वास भारत की उच्च-गुणवत्ता वाले भूवैज्ञानिक आंकड़ों तक बढ़ती पहुँच, मज़बूत नियामक समर्थन और अन्वेषण निवेशों को जोखिम-मुक्त करने के उद्देश्य से नीतिगत प्रोत्साहनों पर आधारित है। उन्होंने पैमाने, माँग निरंतरता और वैश्विक साझेदारियों का लाभ उठाकर गहरे पानी में तेल और गैस अन्वेषण के लिए अगला विश्वसनीय क्षेत्र बनने के भारत के लक्ष्य पर बल दिया।

केंद्रीय मंत्री महोदय ने देश के भूकंपीय डेटाबेस के विस्तार और आधुनिकीकरण के माध्यम से भूमिगत खुफिया जानकारी बढ़ाने पर भारत के विशेष रूप से ध्यान देने के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने व्यापक भूकंपीय सर्वेक्षण करने, उन्नत तकनीकों को अपनाने और राष्ट्रीय डेटा भंडार के माध्यम से डेटा तक पहुँच को लोकतांत्रिक बनाने पर सरकार के ध्यान देने के बारे में प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि ये प्रयास निवेशकों का विश्वास बढ़ाने और अन्वेषण में पारदर्शी, डेटा-आधारित निर्णय लेने को प्रोत्साहन देने के लिए महत्वपूर्ण हैं।

एमआरएससी का अनावरण किया गया, जिसका उद्देश्य नीति स्पष्टता बढ़ाना, निवेशकों का विश्वास बढ़ाना और व्यापार करने में सुगमता को आगे बढ़ाना है। उन्होंने भारत के संसाधन आधार का बेहतर अनुमान लगाने के लिए विश्व स्तर पर बेंचमार्क पद्धतियों का उपयोग करके हाइड्रोकार्बन संसाधन मूल्यांकन अध्ययन शुरू करने की भी घोषणा की। सम्मेलन के दौरान प्रमुख समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया, जिसमें भारत के अपस्ट्रीम भूविज्ञान की समझ को गहरा करने के लिए स्ट्रेटीग्राफिक कुओं के अध्ययन के लिए बीपी और ओएनजीसी के बीच एक समझौता ज्ञापन और पारदर्शी और केंद्रीकृत अपस्ट्रीम डेटा प्रबंधन के लिए क्लाउड-आधारित राष्ट्रीय डेटा रिपोजिटरी स्थापित करने के लिए डीजीएच और एनआईसी के बीच एक समझौता ज्ञापन शामिल है। केंद्रीय मंत्री महोदय ने डीजीएच की प्रमुख रिपोर्ट के 32वें संस्करण, इंडिया हाइड्रोकार्बन आउटलुक 2024-25 का भी विमोचन किया

श्री पुरी ने सम्मेलन के नवाचार प्रदर्शन के एक भाग के रूप में प्रदर्शनी गैलरी और नवाचार केंद्र का दौरा किया, जहाँ 50 से अधिक तकनीकी पोस्टर और ई/एंडपी संचालकों, स्टार्ट-अप्स और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा प्रस्तुत 15 से अधिक नवीन समाधान प्रदर्शित किए गए। उन्होंने कई प्रतिभागियों से बातचीत की और भारत के अपस्ट्रीम उद्योग के भविष्य को आकार देने में निरंतर तकनीकी नवाचार के महत्व को स्वीकार किया।(साभार एजेंसी)

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