(नई दिल्ली) 22जुलाई,2025.
भारत, मालदीव को आर्थिक मदद देने के लिए एक नई योजना पर काम कर रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25-26 जुलाई को मालदीव की यात्रा पर जाने वाले हैं। इस दौरान इस योजना को अंतिम रूप दिया जा सकता है। मालदीव इन दिनों बड़े आर्थिक संकट से जूझ रहा है। यह जानकारी मामले से जुड़े लोगों ने दी है। मालदीव के राष्ट्रीय दिवस पर पीएम मोदी भारत की ओर से वहां पर वित्त पोषित कई परियोजनाओं का उद्घाटन कर सकते हैं। यह मोदी सरकार की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति का हिस्सा है। भारत पहले भी मालदीव को कई बार आर्थिक मदद दे चुका है
मालदीव को आर्थिक संकट से बचा चुका है भारत:
ET की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत, मालदीव में सामुदायिक विकास परियोजनाओं में भी उसकी काफी मदद कर रहा है। ये परियोजनाएं मालदीव के लोगों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई हैं। अब तक 56 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है। इनमें से 14 पूरी हो चुकी हैं और उनका उद्घाटन भी हो चुका है। मई में भारत ने मालदीव को 50 मिलियन डॉलर का ट्रेजरी बिल देकर मदद की थी। इससे मालदीव की अर्थव्यवस्था को संकट से बचाने में मदद मिली।
पड़ोसी देश के हर संकट में खड़ा रहा है भारत:
भारत 2019 से ही स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के जरिए मालदीव के ट्रेजरी बिलों की सदस्यता को आसान बना रहा है। हर साल इन बिलों को बिना ब्याज के रिन्यू किया जाता है। यह दोनों देशों के बीच एक सरकारी समझौता है। इसके तहत भारत, मालदीव को आपातकालीन वित्तीय सहायता देता है। इसे ‘गवर्नेंमेंट टू गवर्नंमेंट एग्रीमेंट’कहा जाता है। यह भारत की तरफ से अपने पड़ोसी देश को दी जाने वाली एक खास मदद .
चीन-पाकिस्तान की नापाक जुगलबंदी को झटका:
भारत और मालदीव के रिश्ते बहुत पुराने हैं। लेकिन, कुछ वर्ष पहले चीन ने यहां की राजनीति में बैकडोर से एंट्री की नापाक कोशिश की थी। अरब सागर में मौजूद यह छोटा सा मुल्क रणनीतिक तौर पर भारत के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह तथ्य भी अब छिपा नहीं है कि चीन, पाकिस्तान की नापाक गठजोड़ भारत के खिलाफ मजबूत हो रही है। ऐसे में अरब सागर में चीन की घुसपैठ भारत की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा हो सकता है। लेकिन, लगता है कि मालदीव के नीति-नियंताओं को जल्द अपने भरोसेमंद पड़ोसी भारत की अहमियत का पता चल गया और उसने चीन को दूर रखने में ही भलाई समझी है। भारत-मालदीव के बीच नए सिरे से दोस्ती में बढ़ोतरी, चीन-पाकिस्तान के नापाक गठजोड़ के लिए बहुत बड़ा झटका माना जा सकता है।
जब भारत ने मालदीव को पानी के संकट से उबारा:
भारत हमेशा मालदीव की मदद के लिए तैयार रहा है। दुनिया वह दौर भी देख चुकी है, जब भारत, मालदीव को चंद घंटों में पीने का पानी भेजकर उसे अप्रत्याशित जल संकट से उबार चुका है। बात 2014 दिसंबर की है। मालदीव की राजधानी माले के सबसे बड़ा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में आ लग गई थी। तब माले ने आपात स्थिति में भारत को त्राहिमाम संदेश भेजा। भारत ने तत्काल न सिर्फ सी-17 और आईएल-76 जैसे विमानों से 374 टन पानी पैकेट में भरकर भेजे, बल्कि ‘ऑपरेशन नीर’के तहत पीछे से आईएनएस दीपक और आईएनएस शुकन्या जैसे जहाजों से 2 हजार टन पानी भेजकर वहां के लोगों की प्यास बुझाई। इसके बाद भारत ने उसके वाटर ट्रीटमेंट प्लांट ठीक करने में भी सहायता की।
दोनों देशों के रिश्ते फिर से हो रहे मजबूत:
बीच के कुछ महीनें छोड़ दें तो मालदीव भी भारत को अपना अच्छा दोस्त मानता रहा है। दोनों देशों के बीच व्यापार और संस्कृति का भी गहरा संबंध है। भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’नीति का मकसद यही है कि पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें और उनकी तरक्की में मदद करें। इससे पूरे क्षेत्र में शांति और समृद्धि बनी रहेगी। भारत की मौजूदा आर्थिक मदद मालदीव के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इससे उन्हें आर्थिक संकट से उबरने में मदद मिलेगी। साथ ही, दोनों देशों के रिश्ते और भी मजबूत होंगे। भारत हमेशा मालदीव के साथ खड़ा रहेगा और उसकी हर संभव मदद करेगा। (साभार एजेंसी)