कोयला और लिग्नाइट पीएसयू भूमि को हरा-भरा और स्थिर बनाने में आगे

National

(नई दिल्ली)04जून,2024.

कोयला मंत्रालय ने अपने सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा हरित पहल पर रिपोर्ट जारी की।
कोयला मंत्रालय के मार्गदर्शन में कोयला और लिग्नाइट सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) ने देश की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने के लिए न केवल पिछले कुछ वर्षों में कोयला उत्पादन के स्तर को बढ़ाया है, बल्कि विभिन्न निवारक यानी शमन उपायों को लागू करके पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी प्रदर्शित किया है। इसी क्रम में कोयला खनन वाले क्षेत्रों में और उसके आसपास के इलाकों में वृक्षारोपण के व्यापक प्रयासों के माध्यम से खनन-रहित क्षेत्रों को पुनः बहाल करना शामिल है।

चूंकि यह वर्ष मरुस्थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनसीसीडी) की 30वीं वर्षगांठ का प्रतीक है, इसलिए विश्व पर्यावरण दिवस, 2024 का फोकस भूमि बहाली, मरुस्थलीकरण और सूखे से निपटने पर है, जिसका नारा है “हमारी भूमि, हमारा भविष्य। हम #GenerationRestoration हैं”। इस थीम में टिकाऊ भूमि प्रबंधन के महत्व और सभी के लिए टिकाऊ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए बंजर भूमि को हरा-भरा बनाने और पुनर्वास की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। कोयला मंत्रालय ने “कोयला और लिग्नाइट पीएसयू में हरित पहल” शीर्षक से एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कोयला और लिग्नाइट क्षेत्रों में सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा खनन से नष्ट हो चुकी भूमि को बहाल करने और उसका कायाकल्प करने के प्रयासों पर प्रकाश डाला गया है। इन सार्वजनिक उपक्रमों ने व्यापक वनरोपण और पारिस्थितिकी बहाली परियोजनाएं शुरू की हैं, जिससे बंजर भूमि को हरे-भरे क्षेत्रों में बदला जा रहा है। इस तरह की पहल न केवल रेगिस्तानीकरण से लड़ती है और सूखे के प्रति लचीलापन बढ़ाती है, बल्कि कार्बन पृथक्करण और जैव विविधता संरक्षण में भी योगदान देती है। इन हरियाली प्रयासों को एकीकृत करके, रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि कोयला क्षेत्र भूमि बहाली के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। वैश्विक महत्वाकांक्षाओं और स्थानीय कार्रवाइयों के बीच यह तालमेल भविष्य की पीढ़ियों के लिए हमारे ग्रह के भूमि संसाधनों को संरक्षित करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाता है।

कोयला मंत्रालय के सचिव श्री अमृत लाल मीना ने इस रिपोर्ट को संकलित करने में सीएमपीडीआई और कोयला मंत्रालय के सस्टैनेबिलिटी एंड ट्रांजिशन डिविजन द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि रिपोर्ट महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित करेगी और अन्य संस्थाओं द्वारा कोयला खदानों के भीतर बीज बॉल रोपण, ड्रोन के माध्यम से बीज कास्टिंग और मियावाकी रोपण जैसी नवीन तकनीकों को अपनाकर हरित आवरण को बढ़ाने के लिए इसका लाभ उठाया जाएगा। इसका उद्देश्य कोयला क्षेत्रों में हरित आवरण को बढ़ाने के लिए कोयला क्षेत्र द्वारा किए गए प्रयासों को रेखांकित करना है।

यह रिपोर्ट कोयला/लिग्नाइट पीएसयू द्वारा कोयला खनन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए चल रहे पुनर्ग्रहण और वनीकरण प्रयासों के माध्यम से किए गए निरंतर और ईमानदार प्रयासों पर जोर देती है। रिपोर्ट बंद और सक्रिय दोनों कोयला खदानों में की गई हरित पहलों को प्रस्तुत करती है, साथ ही अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल भविष्य के लिए एक खाका भी प्रस्तुत करती है। मुहैया कराए गए डेटा को रिमोट सेंसिंग अध्ययनों और चयनित स्थानों पर ऑन-साइट ग्राउंड-ट्रूथिंग सर्वेक्षणों के माध्यम से मान्य किया गया है। यह रिपोर्ट कोयला/लिग्नाइट पीएसयू द्वारा हरित प्रयासों के बारे में आधारभूत डेटा के प्रारंभिक व्यापक दस्तावेज के रूप में है, जो आगामी वैज्ञानिक जांच के लिए एक मानक स्थापित करती है। रिपोर्ट में कंपनियों द्वारा भूमि उपयोग की स्थिति, संबंधित पुनर्ग्रहण प्रयासों और परियोजना स्थलों के भीतर और बाहर वर्तमान और नियोजित वृक्षारोपण दोनों के संबंध में खदान-विशिष्ट डेटा का संकलन शामिल है। कोयला खदानों में भूमि उपयोग, पूर्ण किए गए पुनर्ग्रहण परियोजनाओं की सीमा और वृक्षारोपण की किस्मों को दर्शाने के लिए सम्मिलित डेटा प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2029-2030 तक नियोजित भविष्य की वृक्षारोपण पहलों के लिए एक रोडमैप की रूपरेखा तैयार की गई है, जिसमें प्रभावी भूमि पुनर्ग्रहण और खनन-क्षयग्रस्त भूमि के सतत उपयोग में आवश्यक प्रगति को ध्यान में रखा गया है।

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