126 साल पहले काशी में सार्वजनिक हुआ था गणेशोत्सव, बालगंगाधर तिलक से ली गई थी प्रेरणा

UP / Uttarakhand

(वाराणसी) 07सितंबर,2024.

अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने के लिए बाल गंगाधर तिलक ने मुंबई में सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरुआत की। कुछ साल बाद ही उनकी प्रेरणा से काशी में भी 126 साल पहले इस उत्सव का श्रीगणेश हुआ था।

श्रीकाशी गणेशोत्सव कमेटी के बैनर तले मराठी समाज के पांच लोगों ने इसकी स्थापना की। फिर, मराठी समाज सहित अन्य समाज के लोग भी एकजुट होने लगे और अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने लगे। उत्साही युवाओं ने एक दशक बाद ही (116 साल पहले) एक और संगठन खड़ा किया, जो नूतन बालक गणेश उत्सव समिति के नाम से संचालित हुआ।

96साल पहले शारदा भवन गणेशोत्सव शुरू हो गया। धीरे-धीरे घरों के साथ दर्जन भर सार्वजनिक गणेश समितियां आयोजन गणेशोत्सव का कराने लगीं। काशी महाराष्ट्र स्कूल बोर्ड ने 1898 में काशी में ब्रह्मा घाट स्थित सरदार आंग्रेका बाड़ा में सार्वजनिक गणेशोत्सव की परंपरा की शुरुआत की। फिर श्रीकाशी गणेशोत्सव कमेटी स्थापित हुई।

कमेटी के वरिष्ठ सदस्य सुनील दीक्षित ने बताया कि राजाराम मेहेंदव्ठे काशीनाथ रामचंद्र भागवत, राजाराम गणेश टोककर, गणेश चिमणा जी थत्थे और रामचंद्र नारायण गंगाजव्ठी ने मिलकर कमेटी की स्थापना की थी.

बाल गंगाधर तिलक और मालवीय जी भी हुए हैं शामिल:
श्रीकाशी गणेशोत्सव कमेटी के उत्सव में 1920 में लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, 1923 में पं. मदनमोहन मालवीय, 1925 में अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध, करपात्री जी महाराज, बिहार के राज्यपाल रहे माधवहरि अणे, पं. शिव प्रसाद गुप्ता, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, भैयाजी बनारसी आदि शामिल हो चुके हैं।

जबकि महोत्सव के सांस्कृतिक आयोजन में पं. गणपतराव फडके, राजा भैया पूंछवाले, कृष्णराव पंडित, पं. हनुमान प्रसाद, पं. कंठे महाराज, पं. गुदई महाराज, पं. लच्छू महाराज, पं. शुक्रे महाराज, पं. किशन महाराज, पं. अमरनाथ, पं. राजन-साजन मिश्र, पं. छन्नूलाल मिश्र, जालपा प्रसाद, बागेश्वरी देवी, मुमताज हुसैन, मंजू सुंदरम आदि शामिल हो चुकी हैं।

गणेश पूजा के साथ शुरू की शिक्षा दान
मराठी समाज के पांच उत्साहित लोगों ने 1909 में दुर्गा घाटकके घासीटोला में नाना फडनवीस का वाडा में नूतन बालक गणेशोत्सव समिति की स्थापना की थी। समिति के पदाधिकारी संतोष सोलापुरकर ने बताया कि समिति ने गणेश पूजन के साथ ही समाज सेवा के क्षेत्र में भी कार्य शुरू कर दिया। 12वीं तक की शिक्षा के लिए गंगा विद्या मंदिर शिक्षण संस्थान शुरू हुई। सत्तर के दशक में गणेश शिशु वाटिका नामक नर्सरी विद्यालय की स्थापना की गई, जो विभिन्न स्थानों पर संचालित है।

103 सालों सांग्वेद विद्यालय हो रही है पूजा
गणेशोत्सव का आयोजन श्रीवल्लभराम शालिग्राम सांग्वेद विद्यालय में गणेशोत्सव मनाया जा रहा है। संस्कृत व वेदों पर आधारित आयोजन भी होते हैं। जिले में इसके अलावा भी कई समितियां हैं, जो 10 से 50 सालों से सार्वजनिक गणेशोत्सव करती हैं। इसमें श्रीगणेशोत्सव सेवा समिति अगस्तकुंडा, श्रीराम तारका आंध्राश्रम मानसरोवर, काशी विद्या मंदिर मच्छोदरी, श्रीगणेशोत्सव सेवा समिति, श्रीकाशी मराठा गणेश उत्सव समिति चौक आदि शामिल है।

काशी में अमृत राव पेशवा परिवार की 217 साल है पुरानी पूजा
काशी में बाजीराव पेशवा परिवार की सबसे पूरानी गणेश पूजा है, जो 227 साल यानी 1807 सालों से चली आ रही है। उनके प्रपौत्र अमृत राव पेशवा ने शुरू की थी। रामघाट पर उन्होंने गणेश मंदिर की स्थापना की, जो अमृत विनायक मंदिर के नाम से प्रसिद्ध हैं। गणेश मंदिर एवं अन्नपूर्णा क्षेत्र एंडामेंट ट्रस्ट के प्रबंधक पं. किशन राम डोहकर ने बताया कि पेशवा परिवार की नौवी पीढ़ी के उदय सिंह पेशवा पूजा में शामिल होते थे। पेशवा परिवार के ही विनायक विश्वनाथ राव पेशवा के गत माह निधन हो जाने से पहली बार पेशवा परिवार का कोई सदस्य इस बार पूजा में शामिल नहीं हो पाएगा।(साभार एजेंसी)

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