(नई दिल्ली)06दिसम्बर,2024.
इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो (ISRO) ने एक बार फिर से इतिहास रचा है. इसरो ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के PROBA-3 मिशन को सफलतापूर्वक तरीके से लॉन्च कर दिया है. PSLV-C59 लॉन्च व्हिकल की मदद से इस मिशन को ऑरबिट में स्थापित किया गया. इसके साथ दो स्पेसक्राफ्ट को स्पेस में भेजा गया है. इसरो ने मिशन की लॉन्चिंग को सफल बताते हुए कहा कि यह एनएसआईएल, ईएसए और ISRO की टीमों के संयुक्त प्रयास और समर्पण को दिखाता है.
ESA के PROBA-3 मिशन को बुधवार को ही लॉन्च किया जाना था, लेकिन लॉन्च व्हिकल में तकनीकी खराबी आने की वजह से इसकी लॉन्चिंग टाल दी गई थी. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से PROBA-3 मिशन को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित कर दिया गया. प्रोबा-3 मिशन के साथ दो खास स्पेसक्राफ्ट को भी लॉन्च किया गया है, जिसके जरिये स्पेस रिसर्च से जुड़ी महत्वपूर्ण गतिविधियों को अंजाम दिया जाएगा. इसरो और यूरोपीय स्पेस एजेंसी का यह संयुक्त प्रयास रिसर्च एंड डेवलपमेंट के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो सकता है.
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यह मिशन क्यों है खास?:
इसरो और यूरोपीय स्पेस एजेंसी का PROBA-3 मिशन अपने आप में काफी खास है. दरअसल, PSLV-C59 की मदद से प्रोबा-3 मिशन के साथ दो स्पेशल स्पेसक्राफ्ट को भी अंतरिक्ष में भेजा गया है. कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट और ऑक्युल्टर स्पेसक्राफ्ट की मदद से अंतरिक्ष में रिसर्च को बढ़ावा मिलेगा. इस लॉन्चिंग से भारत के सोलर मिशन को नई दिशा मिलने की उम्मीद है. दुनिया के तमाम देश सूर्य का अध्ययन करने की कोशिश में जुटे हैं. इनमें अमेरिका की NASA भी शामिल है. इन सबके बीच इसरो ने यूरोपीय स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर सोलर मिशन को आगे बढ़ाने की दिशा में प्रोबा-3 मिशन को लॉन्च किया है.
सूर्य के कोरोना की स्टडी:
दरअसल, इसरो और यूरोप की स्पेस एजेंसी ने सोलर मिशन पर एक साथ काम करने को सहमत हुई. इसका उद्देश्य सूर्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाना है, ताकि उसकी ऊर्जा के रहस्यों को सुलझाया जा सके. इसके तहत ही PROBA-3 मिशन लॉन्चिंग की गई है. इस मिशन में दो एडवांस्ड सैटेलाइट के जरिये सोलर मिशन के कैंपेन को आगे बढ़ाया जाएगा.(साभार एजेंसी)