(लखनऊ UP)28फरवरी,2025.
उत्तर प्रदेश में शीर्ष 100 कंपनियों ने स्टेट जीएसटी के रूप में 19 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का टैक्स दिया है। कारोबार में विकास का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि ये रकम वर्ष 2023 की तुलना में 27 फीसदी ज्यादा है। ओप्पो मोबाइल फोन 1945 करोड़ रुपये का टैक्स देकर पहले स्थान पर है। शीर्ष 10 में तीन नवरत्न कंपनियां हैं और 7 निजी क्षेत्र से जुड़ी हैं। वहीं, खनन, रियल एस्टेट, तिपहिया वाहन, बैटरी-इनवर्टर क्षेत्र में भी औसतन 16 फीसदी की ग्रोथ दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश के 100 शीर्ष जीएसटी देने वाले कारोबारियों या कंपनियों में से 33 कंपनियां नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गाजियाबाद की हैं। सबसे ज्यादा 28 कंपनियों के मुख्यालय या कॉर्पोरेट ऑफिस लखनऊ में हैं। इस मामले में लखनऊ ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद और कानपुर जैसे औद्योगिक शहरों को काफी पीछे छोड़ दिया है। टॉप 100 में कानपुर की सिर्फ सात कंपनियां हैं। इनमें गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (80.73 करोड़), आरएसपीएल (84 करोड़), अपोलो टायर्स (132 करोड़), सिएट लि. (118 करोड़), केटीएल लि. (96 करोड़), एलआईसी (449 करोड़) और पारले बिस्किट्स (177 करोड़) शामिल हैं।
इस लिस्ट में औरैया, सोनभद्र, अमेठी, झांसी, मेरठ, सहारनपुर, प्रयागराज, गोरखपुर, मिर्जापुर, आगरा और अलीगढ़ ने भी नाम दर्ज कराया है। छोटे जिलों की तरफ कॉर्पोरेट सेक्टर का झुकाव बढ़ा है। इसीलिए सोनभद्र में पंजीकृत मॉन्टे कार्लो लि. ने करीब 70 करोड़ रुपये का टैक्स दिया है। खास बात यह है कि 2022-23 में सिर्फ 2.13 करोड़ रुपये टैक्स जमा किया था। यानी केवल एक साल में 33 गुना की ग्रोथ सामने आई है। बड़ी कंपनियों ने उन्हीं छोटे जिलों की तरफ रुख किया है, जहां बुनियादी विकास और सड़कों की कनेक्विटी बेहतर है।
उत्तर प्रदेश राज्य कर विभाग के प्रमुख सचिव एम देवराज का कहना है कि राज्य कर विभाग को आगामी वित्त वर्ष के लिए 1.75 लाख करोड़ रुपये के राजस्व संग्रह का लक्ष्य दिया गया है। इसे प्राप्त के लिए कंप्यूटरों की संख्या बढ़ाने के साथ ही विभागीय दिक्कतों को दूर किया जाएगा। वहीं, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और डाटा एनालिसिस पर खास फोकस रहेगा। इस वर्ष भी राज्य कर संग्रह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।(साभार एजेंसी)