यूपी के 5 शहरों को अमूर्त विरासत व रचनात्मक शहरों के तौर पर यूनेस्को की मान्यता दिलाएगी योगी सरकार

UP / Uttarakhand

(लखनऊ UP)03मार्च,2025.

उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और इसे वैश्विक पटल पर मान्यता दिलाने के लिए प्रतिबद्ध योगी सरकार प्रदेश के 5 शहरों व बुंदेलखंड की लोककला के संरक्षण की दिशा में बड़ा प्रयास करने जा रही है। सीएम योगी के विजन को मिशन मानकर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने कन्नौज के इत्र, ब्रज की होली, वाराणसी की गंगा आरती, फिरोजाबाद की कांच कला, आजमगढ़ के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी तथा बुंदेलखंड की लोककला व लोक साहित्य को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत तथा रचनात्मक शहरों की सूची में उल्लेखित कराने के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस क्रम में विशिष्ट टीम का गठन किया जाएगा जिसके जरिए इस प्रक्रिया की पूर्ति की जाएगी।

इसके पहले कुम्भ को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के तौर पर पहली बार उल्लेखित किया गया था। ऐसे में, अब 5 शहरों व बुंदेलखंड क्षेत्र की लोककलाओं को भी इस केटेगरी में उल्लेखित कराने के प्रयास योगी सरकार द्वारा शुरू कर दिए गए हैं।

‘यूनेस्को के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क’ में महक उठेगा कन्नौज का इत्र:
सीएम योगी के विजन के अनुसार, कन्नौज के इत्र को यूनेस्को के रचनात्मक शहरों के नेटवर्क में उल्लेखित कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस क्रम में योगी सरकार द्वारा कन्नौज को सिटी ऑफ क्राफ्ट केटेगरी में इत्र के लिए पंजीकृत कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। इत्र के निर्माण की पारंपरिक “देग-भापका” विधि और इसके ऐतिहासिक महत्व पर गहन शोध की डॉक्यूमेंटेशन रिपोर्ट को इस कार्य की पूर्ति के लिए निर्मित कर यूनेस्को टीम को सौंपा जाएगा।

कन्नौज को “भारत की इत्र राजधानी” के रूप में वैश्विक प्रतिष्ठा, इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव के मानचित्रण तथा अद्वितीय प्रक्रियाओं, सांस्कृतिक विरासत व टिकाऊ प्रथाओं पर प्रकाश डालने वाले डोजियर का निर्माण किया जाएगा। इसे विभिन्न मीडिया फॉर्मेट्स के हिसाब से बनाया जाएगा, जिससे इसके उचित अवमूल्यन का अवसर यूनेस्को की टीम को मिल सकेगा।

वाराणसी की गंगा आरती, बुंदेलखंड की लोककलाओं को भी मिलेगी मान्यता:
योगी सरकार द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं कि वाराणसी की गंगा आरती को भी यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के तौर पर मान्यता मिले। गंगा आरती के ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और अनुष्ठान संबंधी महत्व पर गहन शोध भी होगा। सांस्कृतिक पर्यटन पर इस प्रथा के प्रभाव को दर्शाने वाले दृश्य और पाठ्य सामग्री समाहित डॉक्यूमेंटेशन प्रक्रिया को पूर्ण किए जाने पर फोकस है।

इसी प्रकार ब्रज की प्रसिद्ध होली (जिसमें लट्ठमार होली को प्रमुखता से प्रदर्शित किया जाएगा), आजमगढ़ के निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी तथा फिरोजाबाद के कांच उद्योग को भी मान्यता दिलाने के लिए विस्तृत डोजियर का निर्माण किया जाएगा।

वहीं बुंदेलखंड के आल्हा गायन, राई नृत्य समेत स्थानीय लोक कला-लोक साहित्य एवं संस्कृति को परिलक्षित करते विस्तृत डोजियर का निर्माण बुंदेलखंड की सांस्कृतिक विरासत को सहेजने तथा यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के तौर पर मान्यता दिलाने के लिए प्रयास किया जाएगा।(साभार एजेंसी

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *