(आगरा UP)10मई,2025.
केंद्रीय हिंदी संस्थान को डीम्ड यूनिवर्सिटी का दर्जा मिल गया है। इस बारे में शिक्षा मंत्रालय से एक पत्र संस्थान में आ चुका है। डीम्ड विश्वविद्यालय बनने के बाद यहां पीएचडी, एमफिल, डीलिट जैसे पाठ्यक्रम शुरू किए जा सकेंगे। शोध क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
2008 से पहले की गई थी संकल्पना:
संस्थान को डीम्ड यूनिवर्सिटी बनाने की संस्थान के निवर्तमान उपाध्यक्ष प्रो. कमला प्रसाद ने सबसे पहले की थी। उसके बाद निवर्तमान निदेशक प्रो. शंभूनाथ ने 2008 से पहले ही प्रस्ताव बना कर जमा किया था। डीम्ड यूनिवर्सिटी की प्रक्रिया में संस्थान की तरफ से 2016 में 10 लाख रुपये की फीस जमा की गई। नवंबर 2023 में संस्थान के पास मंत्रालय से एक पत्र आया, जिसमें केंद्रीय हिंदी संस्थान और केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल को लेकर एक शपथपत्र मांगा गया था। यह शपथपत्र मंत्रालय भेजने के बाद यूजीसी की टीम ने संस्थान का निरीक्षण किया। साथ ही संस्थान को डीम्ड विश्वविद्यालय का दर्जा देने से पहले तीन साल की अवधि के भीतर कुछ शर्तों का पूरा करने के लिए आशय पत्र (एलओआई) लिखा गया था। 10 दिसंबर 2024 को संस्थान निदेशक की ओर से एलओआई की शर्तों के अनुपालन की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।
यूजीसी ने अनुपालन रिपोर्ट उसी विशेषज्ञ समिति के समक्ष रखी, जिसने इसे जारी करने की सिफारिश की थी। विशेषज्ञ समिति के संस्थान की अनुपालन रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया गया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विशेषज्ञ समिति की सिफारिश पर आयोग ने 3 अप्रैल को अपनी बैठक में इस संस्थान को डीम्ड विश्वविद्यालय बनाने का अनुमोदन कर दिया गया। 5 मई को इस आशय का पत्र भी संस्थान में आ चुका है।
बढ़ जाएंगे पाठ्यक्रम:
वर्तमान में संस्थान में विदेशी और स्वदेशी विद्यार्थियों के लिए हिंदी के पाठ्यक्रम ही संचालित हैं। इनमें 10वीं, 12वीं,स्नातक और बीएड स्तर पर हिंदी पढ़ाई जाती है। डीम्ड यूनिवर्सिटी बनने के बाद यहां पीएचडी, एमफिल, डीलिट जैसे पाठ्यक्रम शुरू हो सकेंगे। शोध क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान दिया जाएगा।
डिग्री की होगी विश्वव्यापी मान्यता:
संस्थान से पढ़े विद्यार्थियों की डिग्री को किसी भी अन्य राज्य या देश के विश्वविद्यालय में मान्यता नहीं मिलती है। डीम्ड यूनिवर्सिटी बनने के बाद यहां की डिग्री की विश्वव्यापी मान्यता होगी। वर्तमान में संस्थान में 100 विदेशी और लगभग 275 सीटें स्वदेशी विद्यार्थियों की रहती हैं। पाठ्यक्रम नए शुरू होने पर सीटें भी बढ़ेंगी।
बढ़ेंगे रोजगार के अवसर:
संस्थान को मानद विवि का दर्जा मिलते ही यहां नए पदों का सृजन होगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। नए पाठ्यक्रम शुरू होंगे तो उसके लिए भी शिक्षकों की नियुक्ति होगी(साभार एजेंसी)