(वाराणसी)19अगस्त,2024.
काशी में एक ऐसा मंदिर है जहां 151 नर्मदेश्वर के साथ द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। धर्मसम्राट की तपस्थली मणि मंदिर पर शैव और वैष्णव का संगम होता है।महाकाल मंदिर की तर्ज पर इस मंदिर में भस्म आरती होती है।
मंदिरों के शहर बनारस में एक मंदिर ऐसा भी है जहां 151 नर्मदेश्वर के साथ ही द्वादश ज्योतिर्लिंग के भी दर्शन सहजता से होते हैं। महाकाल की तर्ज पर ही यहां महादेव की भस्म आरती होती है। धर्मसम्राट करपात्री जी महाराज की तपस्थली पर निर्मित मणि मंदिर में श्रद्धालुओं को सहजता से शैव और वैष्णव का संगम नजर आता है।
प्रभु श्रीराम दरबार की झांकी सहेजे यह मंदिर आठ दशक पहले 1940 में स्थापित किया गया था। 43 हजार वर्गफीट में निर्मित इस मंदिर में भगवान राम के दरबार के साथ ही शिव, शक्ति और पंचदेवों के दर्शन एक साथ होते हैं। राम दरबार के ठीक सामने विशाल मंडप के मध्य पांच फीट आकार के उज्जैन के महाकाल के प्रतिरूप में शिवलिंग है। उसके दोनों तरफ 151 नर्मदेश्वर शिवलिंगों की कतार है।
बगल में शिव परिवार और स्फटिक मणि के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। परिक्रमा पथ पर अगले हिस्से में सूर्यदेव व बाबा कालभैरव और पिछले हिस्से में एक तरफ गजानन तो दूसरी तरफ मां दुर्गा अभयदान की मुद्रा में कृपा बरसाती हैं।
राम दरबार के बगल में मां अन्नपूर्णा श्रद्धालुओं को धन-धान्य का वरदान देती हैं। धर्मसंघ के मंत्री जगजीतन पांडेय ने बताया कि द्वादश ज्योतिर्लिंगों के निर्माण में स्फटिक मणि का इस्तेमाल किया गया है। 11 शिखरों वाले इस मंदिर को मणि मंदिर नाम दिया गया है।(साभार अ.उ.एजेंसी)