(वाराणसी UP) 05नवंबर,2024.
तुलसी घाट पर नाग नथैया लीला का अद्भुत आयोजन हुआ। इस लीला में कृष्ण रूपी कलाकार ने पहले क्रीड़ा किया उसके बाद यमुना रूपी गंगा में छलांग लगा दी बाहर आकर सबको दर्शन दिए और सभी ने हर हर महादेव का उद्घोष किया और लीला का समापन हुआ। आपको बता दें कि इस लीला को गोस्वामी तुलसीदास ने शुरू कराया था। कहा जाता है कि वृंदावन के कालीदह घाट पर कान्हा ने लीला की और यमुना से कालिया को उद्भाषित कर दिया।
उसी तरह इस लीला का संदेश भी कालियानाग रूपी नालों को उद्भाषित कर गंगा को स्वच्छ करने का होता है। मान्यता है कि इस लीला को देखने के लिए लाखों की भीड़ होती है। इस लीला के महात्म्य सम्राट अकबर ने 1553 में इस लीला को देखने की इक्षा जताई और नौका से आकर इस लीला को देखा था। काशी नरेश का परिवार आज भी बजड़े पर सवार होकर इस लीला को देखता है हर साल यहां भक्तों की भारी भीड़ होती है इस बार भी भीड़ इकट्ठा हुई और जयकारा लगाया।
लीला का एक दृश्य:
तुलसी घाट पर भक्तों की भीड़ इकट्ठा हुई और घाट पर बाल रूपी कलाकार सखाओं के साथ गेंद क्रीड़ा करता नजर आया। संकट मोचन मंदिर के महंत जब स्थान पर पहुंचे तो इन्होंने भी कृष्ण रूपी कलाकार को प्रणाम किया। फिर कृष्ण किनारे पर लगे कदंब के वृक्ष पर चढ़े और नदी में छलांग लगा दी। कुछ पलों के लिए सांसे थम गई। डमरूओं की ध्वनी गूंजी घंटे घड़ियाल बजे और नाग फन पर सवार होकर दर्शन मिला। सभी ने उद्घोष किया और आरती उतारी गई। कुछ लोग नौका पर सवार रहे सभी ने प्रणाम किया । काशी नरेश परिवार भी नौका पर सवार होकर लीला देखने आया।
जब तुलसी घाट बना कालीदह घाट, गंगा बनी यमुना:
इस लीला के बारे में मान्यता है कि दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि बाल कलाकार जब क्रीड़ा कर रहा होता है तब तुलसी घाट का दृश्य वृंदावन के कालीदह घाट जैसा प्रतीत होता है और जब नदी में छलांग लगती है तब गंगा यमुना में तब्दील होती है। सभी भक्त इस लीला को देखकर मुग्ध होते हैं(साभार एजेंसी)