(वाराणसी UP)28नवम्बर,2024.
बीएचयू में तीन दिवसीय कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया जिसमें फॉरेंसिक साइंस इंस्टीट्यूट के निदेशक पहुंचे और इन्होंने कहा कि शोध ऐसा होना चाहिए जो समाज के लिए कारगर हो। ऐसे शोध का अर्थ नहीं जो समाज के काम नहीं आ सके। कहा पांच साल में लोकल पुलिस को भी एक्पर्ट बनाने का काम करेंगे ताकि आने वाले दिनों में अपराधियों का बचना नामुमकिन हो जाए।
ऐसे शोध का कोई अर्थ नहीं, जिसका समाज पर सीधा असर न पड़े। लैब की बातें लोगों की भाषा पहुंचे और उसका बड़ा प्रभाव हो। ये बातें उत्तर प्रदेश फॉरेंसिक साइंस संस्थान के निदेशक और एडीजी डॉ. जी के गोस्वामी ने की। बीएचयू के जंतु विज्ञान विभाग में बृहस्पतिवार को एडनेट 2024 का उद्घाटन हुआ। महामना हॉल में देश विदेश के 300 से ज्यादा जेनेटिक साइंटिस्ट मौजूद थे। आईपीएस गोस्वामी ने कहा कि अब पांच साल में लोकल पुलिस को भी फॉरेंसिक के काम सिखाए जाएंगे, जिससे घटनास्थल पर साक्ष्य के साथ खिलवाड़ न हो।
वहीं, अब तो ये व्यवस्था आ गई है कि जिन अपराधों में सात साल या इससे ऊपर कैद की सजा है तो फिर वहां पर फॉरेंसिक एक्सपर्ट को पहुंचना ही है। जब तक फॉरेंसिक वैन आकर अपनी जांच पूरी न कर ले, कोई भी साक्ष्यों को नहीं हटाएगा। पुलिस को ट्रेनिंग देकर किसी भी अपराध के तह तक पहुंचा जा सकता है। कहा कि जब वो वाराणसी के एसपी थे तो 2006 के बम धमाकों में हुई तबाही को देखा। विज्ञान में नौकरी की संभावनाएं, कानून के कई कार्यों में विज्ञान का प्रयोग हो रहा है। समाज में विज्ञान के सही और सटीक उपयोग हो(साभार एजेंसी)