(नई दिल्ली)28जुलाई,2025.
गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर तमिलनाडु के अरियालुर जिले में स्थित ऐतिहासिक मंदिर है, जिसे 11वीं शताब्दी में चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम ने बनवाया था। यह मंदिर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल ग्रेट लिविंग चोल टेम्पल्स का हिस्सा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगईकोंडा चोलपुरम मंदिर में महान चोल सम्राट राजेंद्र चोल प्रथम की जयंती के अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि जब वह ‘ॐ नमः शिवाय’ सुनते हैं तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं। पीएम मोदी ने कहा, ‘एक प्रकार से ये राज राजा की श्रद्धा भूमि है और आज इलैयाराजा ने जिस प्रकार हम सभी को शिवभक्ति में डुबो दिया, क्या अद्भुत वातावरण था। मैं काशी का सांसद हूं, जब मैं ॐ नमः शिवाय सुनता हूं तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं।’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘इतिहासकार मानते हैं कि चोल साम्राज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था। चोल साम्राज्य ने भारत को लोकतंत्र की जननी कहने की परंपरा को भी आगे बढ़ाया। इतिहासकार लोकतंत्र के नाम पर ब्रिटेन के मैग्ना कार्टा की बात करते हैं। लेकिन कई सदियों पहले, चोल साम्राज्य में लोकतांत्रिक पद्धति से चुनाव होते थे। हम ऐसे कई राजाओं के बारे में सुनते हैं जो दूसरे स्थानों पर विजय प्राप्त करने के बाद सोना, चांदी या पशुधन लाते थे। लेकिन राजेंद्र चोल गंगाजल लेकर आए।’
भगवान बृहदेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना:
पीएम मोदी ने रविवार को चोलकालीन भगवान बृहदेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। वैदिक और शैव तिरुमुराई मंत्रोच्चार के बीच उन्हें आराधना करते देखा गया। वह पारंपरिक रूप से सजा हुआ एक कलश साथ लाए, जिसके बारे में बताया जा रहा है है कि उसमें गंगा नदी का जल है। मंदिर के पुजारियों ने पारंपरिक तरीके से पूर्ण कुंभम के साथ प्रधानमंत्री का स्वागत किया। वेष्टि (धोती), सफेद कमीज और गले में अंगवस्त्र पहने पीएम ने मंदिर के भीतरी गलियारे की परिक्रमा की। पीएम मोदी ने चोल शैव धर्म और वास्तुकला पर आधारित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक प्रदर्शनी भी देखी।(साभार एजेंसी)