दूर्वा व मोदक से करेंगे गणपति का पूजन, सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि की करेंगे कामना

UP / Uttarakhand

(वाराणसी UP)01जनवरी,2025.

पौष मास शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि यानी वरद वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी तीन जनवरी है। अंग्रेजी नववर्ष में पड़ने वाले पहले व्रत पर लोग भगवान गणपति का पूजन अर्चन करेंगे। व्रती श्रीगणेश मंदिरों में दर्शन पूजन करेंगे। सुख-सौभाग्य में अभिवृद्धि की कामना करेंगे।

ज्योतिषविद विमल जैन के अनुसार चतुर्थी तिथि दो जनवरी की रात 1:09 बजे से अगले दिन तीन की रात 11:40 बजे तक रहेगी। जबकि धनिष्ठा नक्षत्र दो की 11:11 बजे से अगले दिन तीन की रात 10:22 बजे तक रहेगा। मध्याह्न व्यापिनी चतुर्थी तिथि होने से तीन को होने से व्रत उपवास इसी दिन रखा जाएगा।

इस दिन सुबह स्नान-ध्यान कर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा कर दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गंध व कुश लेकर श्रीगणेश चतुर्थी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिनभर व्रत रखकर भगवान श्रीगणेश जी का षोडशोपचार से पूजन करें। श्रीगणेश जी को दूर्वा एवं मोदक अति प्रिय है, इसलिए दूर्वा की माला, मेवे एवं मोदक, ऋऋतुफल अवश्य अर्पित करें।

श्रीगणेश स्तुति, संकटनाशन श्रीगणेश स्तोत्र, श्रीगणेश अथर्वशीर्ष, श्रीगणेश सहस्रनाम, श्रीगणेश चालीसा एवं श्रीगणेश जी से संबंधित स्तोत्र आदि का पाठ करना चाहिए। साथ ही श्रीगणेशजी से संबंधित मंत्र का जप करें। इससे सभी मनोरथ की पूर्ति के साथ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की भी प्राप्ति होती है।(साभार एजेंसी

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