रिमोट सेंसिंग तकनीक से होगी असि नदी के चैनल की तलाश

UP / Uttarakhand

(वाराणसी UP)17मार्च,2025.

वीडीए,आईआईटी बीएचयू और सिंचाई विभाग मिलकर असि नदी के पुराने स्वरूप को लौटाने में जुटे हैं। रिमोट सेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है। जो नदी के चैनल को तलाश रही है। इसके लिए स्टेम सर्वे भी किया गया।

बीएचयू के विशेषज्ञों के अनुसार असि नदी का उद्गम ऋषि दुर्वासा के आश्रम (प्रयागराज) से हुआ है। यह नदी भदोही और मिर्जापुर के कुछ हिस्सों से होते हुए वाराणसी तक पहुंची है। इसके पैलियो चैनल के साक्ष्य मिले हैं।

सीजीडब्ल्यूबी (सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड) के डेटा के अनुसार काशी विद्यापीठ और आराजीलाइन में भूजल नीचे जाने की वजह से असि नदी का प्रवाह पथ टूटा। इसके पहले नदी का प्रवाह कर्दमेश्वर महादेव मंदिर तक जाता था। नदी के कैचमेंट एरिया, वेटलैंड और वाटर बॉडी का भी सही-सही आकलन किया जा रहा है। नदी की स्वच्छता, पर्यावरणीय संतुलन और स्थानीय जीवनदायिनी के रूप में नदी की भूमिका के उपाय पर ध्यान दिया जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार काशी विद्यापीठ और आराजीलाइन ब्लॉक में भूजल का स्तर गिरने से असि नदी का प्रवाह टूटा और ये नदी से नाले में बदल गई। प्रयागराज से बहकर आने वाली इस नदी का प्रवाह पथ करीब 120 किलोमीटर चलने के बाद टूटा है। इन दोनों ब्लॉक में भूजल का स्तर 15 मीटर से भी नीचे चला गया है। भूजल का स्तर नीचे जाने से नदी की धारा दो जगह टूट गई है। असि नदी के प्रवाह में तीसरी रुकावट नेशनल हाईवे का विस्तार बना। 90 की दशक में जीटी रोड का विस्तार किया गया।इसमें नदी पथ का ध्यान नहीं दिया गया।इस वजह से नदी का बचा खुचा पथ भी टूट गया।(साभार एजेंसी)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *