पवित्र नदी,पवित्र संकल्प:गंगा के लिए जर्मन गुरु थामस की अनूठी भेंट

UP / Uttarakhand

(वाराणसी UP)26मार्च,2025.

गंगा नदी को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखने के लिए सरकारें लगातार प्रयास कर रही हैं, लेकिन इस बार वाराणसी में एक अनोखा और प्रेरणादायक कदम देखने को मिला। जर्मनी से आए आध्यात्मिक गुरु थामस गेरहार्ड ने गंगा की निर्मलता के लिए एक खूबसूरत संदेश दिया। उन्होंने गंगा के पानी में 10,000 मछलियां छोड़ीं, जो नदी की गंदगी को साफ करने में मदद करेंगी। थामस के साथ थाईलैंड की अजान यानरवी चंद्रकद मोत्री, जिन्हें प्यार से ‘बड़ी मां’ कहते हैं, और 15 अन्य लोग भी इस नेक काम में शामिल हुए। थामस ने कहा कि काशी जैसे पवित्र शहर में यह कदम उठाकर वे गंगा को स्वच्छ बनाने का संदेश देना चाहते हैं।

काशी की आध्यात्मिकता से प्रभावित थामस ने इसे दुनिया का सबसे खास आध्यात्मिक शहर बताया। होली सोल चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष जनार्दन यादव ने बताया कि थाईलैंड की “बड़ी मां” ट्रस्ट की संरक्षक हैं और इस बार वे थामस के साथ काशी आईं। इन मछलियों को खास तौर पर इसलिए चुना गया, क्योंकि ये गंदगी को खाकर नदी को साफ रखती हैं। इस तरह काशी से एक वैश्विक संदेश देने की कोशिश की गई है।

थामस ने एक बातचीत में कहा कि उनका मकसद गंगा की सफाई के साथ-साथ सनातन धर्म और हिंदू संस्कृति को गहराई से समझना भी है। वे विभिन्न धर्मों का अध्ययन कर चुके हैं और अब हिंदू वेदों की ओर आकर्षित हुए हैं। काशी में उन्हें शांति और सुकून का अनुभव हो रहा है। उनके लिए वाराणसी न सिर्फ खूबसूरत है, बल्कि परंपराओं से भरा एक ऐसा शहर भी है, जहां हर कोने में भारतीय संस्कृति की झलक दिखती है। उन्होंने स्थानीय लोगों की सादगी और ईमानदारी की भी तारीफ की।

इस पहल के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है। “बड़ी मां” ने बताया कि दशाश्वमेध घाट से आते वक्त उन्होंने मणिकर्णिका घाट पर श्मशान देखा, जहां शव जलाए जा रहे थे। कुछ लोग शवों को पानी में भी छोड़ते हैं। इसी को देखकर थामस और उन्होंने मछलियां छोड़ने का फैसला किया, ताकि ये मछलियां उन अवशेषों को खाकर गंगा को शुद्ध रखें। यह कदम न सिर्फ पर्यावरण के लिए, बल्कि आध्यात्मिक नजरिए से भी एक अनूठी पहल बन गया।

काशी की इस यात्रा में थामस और उनके साथियों ने न केवल गंगा की सेवा की, बल्कि इस पवित्र शहर की महिमा को दुनिया के सामने पेश करने का प्रयास भी किया(साभार एजेंसी)

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