(लखनऊ UP)03अप्रैल,2025.
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में भी अब रोबोटिक सर्जरी का लाभ मिलने लगा है। संस्थान के यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग में दा विंची एक्सआई डबल कंसोल सिस्टम का उपयोग करके दो मरीजों की रोबोटिक सर्जरी की गई है। अभी तक रोबोटिक सर्जरी की सुविधा सिर्फ संजय गांधी पीजीआई में ही थी। लोहिया संस्थान में पहले 200 मरीजों की सर्जरी मुफ्त की जाएगी
यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट विभाग के अध्यक्ष डॉ. ईश्वर राम धायल ने बताया कि संस्थान में 200 मरीजों की रोबोटिक सर्जरी मुफ्त की जाएगी। ये वे मरीज हैं जिनको पहले से तारीख दी गई है। इसके बाद रोबोट का शुल्क निर्धारित किया जाएगा। बीते दिनों बाराबंकी निवासी 68 वर्षीय भगवती और अंबेडकर नगर निवासी 27 वर्षीय लक्ष्मी नारायण की रोबोटिक माध्यम से किडनी निकाली गई है। चिकित्सा विज्ञान में इसे नेफ्रोटिक सर्जरी कहा जाता है। दोनों मरीज अब बेहतर हैं। जल्द ही इनको छुट्टी दे दी जाएगी।
28 करोड़ से खरीदा गया है रोबोट:
लोहिया संस्थान प्रशासन ने 28 करोड़ रुपये से रोबोट खरीदा है। इस रोबोट से गुर्दा, लिवर, आंत, कैंसर के साथ ही अन्य अंगों की सर्जरी की जाएगी।
केजीएमयू में भी जल्द होगी शुरुआत:
पीजीआई और लोहिया संस्थान के साथ ही केजीएमयू में भी रोबोटिक सर्जरी की शुरुआत होने वाली है। केजीएमयू में दो रोबोट आए हैं। इनके माध्यम से 58 हजार से लेकर अधिकतम 1,02,000 रुपये में सर्जरी होगी।
कम शुल्क में आधुनिक इलाज:
संस्थान के निदेशक डॉ. सीएम सिंह के मुताबिक, सरकार की मंशा के हिसाब से उनका लक्ष्य वंचित वर्ग को सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। रोबोटिक सर्जरी शुरू होने से कम आय वर्ग के रोगियों को भी आधुनिक इलाज की सुविधा मिलेगी। रोबोटिक सर्जरी की सुविधा अभी तक गिने-चुने सरकारी संस्थान में ही मौजूद थी। अब इसका लाभ लोहिया संस्थान में भी मिलेगा।
रोबोट नहीं,रोबोट के माध्यम से डॉक्टर करते हैं सर्जरी:
रोबोटिक सर्जरी में मशीन या फिर रोबोट सर्जरी नहीं करते हैं। बाकी सर्जरी की तरह इसे भी डॉक्टर ही करते हैं, लेकिन इसमें रोबोट का इस्तेमाल होता है। इसमें ऑपरेशन थियेटर में मरीज व अन्य स्टाफ के साथ रोबोट होता है। वहीं, बगल के कमरे में डॉक्टर रोबोट को नियंत्रित करने वाले उपकरण (कंसोल) से नियंत्रित करते हैं।
जानें कैसे उपयोगी है रोबोटिक सर्जरी:
स्पष्टता : रोबोट में मरीज के भीतरी अंगों की थ्रीडी इमेज बनती है। इससे डॉक्टर को भीतरी अंग स्पष्ट दिखाई देते हैं। सामान्य आंखों से इनको देखना संभव नहीं होता है।
सटीकता : सामान्य सर्जरी के समय डॉक्टर चीरे की लंबाई और गहराई का अंदाजा लगाकर काम करते हैं। इससे जरूरत से बड़ा चीरा लगाना पड़ता है। वहीं, रोबोट निर्धारित लंबाई और गहराई का ही चीरा लगाते हैं।
कम रक्तस्राव : सटीक चीरा लगने से इसमें खून कम बहता है और घाव भी जल्दी भरता है।
संक्रमण का खतरा नहीं : रोबोट के माध्यम से सर्जरी होने पर संक्रमण का खतरा न के बराबर रहता है।
अस्पताल से जल्द छुट्टी : कम घाव होने से मरीज को अस्पताल से जल्द छुट्टी मिल जाती है(साभार एजेंसी)