84 साल बाद अक्षय तृतीया पर चतुग्रही और नौ योग का बना महासंगम, पूरे दिन खरीद सकते हैं सोना

UP / Uttarakhand

(वाराणसी UP) 22अप्रैल,2025.

अक्षय तृतीया पर इस बार 84 साल बाद चतुग्रही और नौ योगों का महासंगम बन रहा है। सूर्य और चंद्रमा भी अपने उच्च राशि में विराजमान होकर विशिष्ट योग का निर्माण करेंगे। खास ये है कि इस साल के राजा और महामंत्री दोनों सूर्य है। इस तरह से 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया काफी फलदायी है। इस दिन सोना खरीदने के लिए लोगों को करीब साढ़े आठ घंटे शुभ मुहूर्त मिल रहे हैं। हालांकि, सर्वसिद्धि योग होने से पूरे दिन सोना खरीदा जा सकता है।

बन रहे ये खास योग:
ज्योतिष शास्त्र में अक्षय तृतीया पर चतुग्रही और सबसे ज्यादा नौ योग बन रहे हैं। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री व नागेंद्र किंकर ध्रुव के अनुसार मीन राशि में शनि, बुध, शुक्र और राहु विराजमान होकर चतुर्ग्रही योग बना रहे हैं। इससे मालव्य, लक्ष्मी नारायण योग बन रहे हैं। चंद्रमा अपने उच्च राशि वृषभ में रहते हुए गुरु के साथ रहेंगे। इससे गजकेसरी राजयोग बनेगा। इस दिन शोभन योग, शुभ योग, सौभाग्य, रवि, सर्वार्थ सिद्धि योग भी बन रहा है और रोहिणी नक्षत्र रहेगा। वहीं, सूर्य अपने उच्च राशि मेष और चंद्रमा अपने उच्च राशि वृषभ में रहते हुए गुरु के साथ होंगे।

ये है शुभ मुहूर्त:
वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल की रात 8:10 बजे लगेगी, जो 30 अप्रैल को शाम 5:58 बजे तक रहेगी। इस तिथि को स्नान, दान-पुण्य के साथ सोना खरीदने का शुभ होता है। सोना खरीदने से संपत्ति में अक्षय वृद्धि होती है। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि सोना खरीदने के लिए अक्षय तृतीया के दिन सुबह 5:41 बजे से दोपहर 2:12 बजे तक यानी 8.31 घंटे का शुभ मुहूर्त है। वहीं, अक्षय तृतीया पर सर्वसिद्धि योग होने से पूरा दिन शुभ रहेगा।

इस दिन 12:46 से दोपहर तीन बजे तक सिंह लग्न, दोपहर 3:01 बजे से शाम 5:17 बजे तक कन्या लग्न और इसके बाद 7:33 बजे तक गोधूलि लग्न रहेगा। इसलिए इसमें भी सोना खरीदने सकते हैं। इस दिन मां लक्ष्मी व विष्णु जी की पूजा का विधान है। पूजा के लिए सुबह 5:41 बजे से दोपहर 12:18 बजे तक शुभ मुहूर्त है। इस दिन शादी से लेकर सभी तरह के मांगलिक शुभ कार्य कर सकते हैं।

बिना पंचांग देखे,करें शुभ और मांगलिक कार्य:
अक्षय तृतीया का सर्वसिद्धि मुहूर्त के रूप में विशेष महत्त्व है। मान्यता है कि बिना पंचांग देखे इस दिन कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य कर सकते हैं। जैसे विवाह, गृह-प्रवेश, स्थापना या उद्घाटन, वस्त्र-आभूषणों, घर, भूखंड, वाहन आदि की खरीददारी कर सकते हैं।

पितरों के तर्पण व दान का अक्षय फल:
पुराणों में अक्षय तृतीया के दिन पितरों का तर्पण, पिंडदान और दान करने से अक्षय फल मिलता है। इस दिन गंगा स्नान का भी फल है। जौ व गेहूं का सत्तू, ककड़ी और चने की दाल, फल, फूल, पात्र तथा वस्त्र आदि दान किए जाते हैं। जप, तप, हवन, स्वाध्याय करना चाहिए।(साभार एजेंसी)

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