गोरखपुर जंक्शन-कैंट नई लाइन पर 110 की स्पीड में दौड़ी ट्रेन-22 दिन का मेगा ब्लॉक खत्म

UP / Uttarakhand

(गोरखपुर UP)05मई,2025.

गोरखपुर कैंट और जंक्शन के बीच तीसरी रेल लाइन निर्माण पूरा होने पर सीआरएस (रेल संरक्षा आयुक्त) परीक्षण किया गया। रूट पर 110 की स्पीड में ट्रेन चलाई गई। यह पूरी तरह से सफल रहा। इसके उपरांत सीआरएस ने इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और नई तीसरी लाइन पर ट्रेनों के संचालन की अनुमति प्रदान कर दी।

गोरखपुर कैंट और जंक्शन के बीच बनी 3.5 किमी लंबी 25,000 वोल्ट एसी क्षमता वाली तीसरी विद्युतीकृत रेल लाइन का निर्माण पूरा हो जाने पर उत्तर पूर्व परिमंडल के रेल संरक्षा आयुक्त प्रणव जीव सक्सेना ने निरीक्षण किया।

इस दौरान परीक्षण ट्रेन को नई पटरी पर 110 की स्पीड में दौड़ाया गया। परीक्षण के बाद रेल संरक्षा आयुक्त ने उत्तर पूर्व सर्किल 503 रूट के साथ गोरखपुर स्टेशन के इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और गोरखपुर जं.-गोरखपुर कैंट नवनिर्मित तीसरी लाइन की कमीशनिंग भी की।

निरीक्षण कर एआई आधारित इलेक्ट्राॅनिक पैनल की ली जानकारी
तीसरी विद्युतीकृत रेल लाइन का निर्माण पूरा हो जाने पर उत्तर पूर्व परिमंडल के रेल संरक्षा आयुक्त, प्रणव जीव सक्सेना ने मुख्य प्रशासनिक अधिकारी (निर्माण) अभय कुमार गुप्ता, मुख्य विद्युत इंजीनियर (निर्माण) ओपी सिंह, मंडल रेल प्रबंधक प्रबंधक लखनऊ गौरव अग्रवाल और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ निरीक्षण किया।

इस दौरान उन्होंने गोरखपुर जंक्शन पर एआई आधारित इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग पैनल, स्टेशन अधीक्षक कक्ष, संरक्षा अभिलेख, यार्ड प्लान, स्टेशन वर्किंग रूल, इंटीग्रेटेड पावर सप्लाई और बैटरी रूम देखा। इसके बाद उन्होंने गोरखपुर स्टेशन-गोरखपुर कैंट खंड पर नव निर्मित तीसरी लाइन का मोटर ट्राली के माध्यम से पॉइंट एंड क्रॉसिंग, कर्व और पुल की गहनता से जांच की।

गोरखपुर कैंट स्टेशन पर सीआरपीएम ने सिग्नलिंग, बैलास्ट, प्लेटफॉर्म क्लियरेंस, इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग, बैटरी रूम, रिले रूम एवं अन्य संरक्षा कार्यों का निरीक्षण किया। उन्होंने ट्रेन परिचालन से संबंधित कर्मचारियों से संरक्षा प्रश्न पूछकर उनकी कार्यकुशलता परखी।

ये होगा फायदा
इस लाइन के निर्माण से रेलवे नेटवर्क की क्षमता बढ़ेगी। इससे अधिक ट्रेनों का संचालन संभव होगा। यात्रा समय में कमी आने के साथ ही समय पालन में सुधार होगा। विद्युतीकरण से डीजल ट्रेनों पर निर्भरता कम होगी, जिससे कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी। पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। यात्रियों को बेहतर कनेक्टिविटी और आरामदायक यात्रा अनुभव मिलेगा(साभार एजेंसी)

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