बनाई गई आधुनिक ड्रोन,बिना इंटरनेट भेजेगा मेसेज,टेस्टिंग सफल

UP / Uttarakhand

(वाराणसी UP)25 मई,2025.

आईआईटी बीएचयू में एक ऐसा ड्रोन बनाया गया है जो कि बिना इंटरनेट कनेक्टिविटी के रियल टाइम में लंबी दूरी तक संदेश और विजुअल भेज सकता है। कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग में शोध टीम ने एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर ट्रांसमिशन प्रणाली (एसएसटीए) विकसित की है।

यह ड्रोन का उपयोग कर डेटा को बड़ी दूरी तक पहुंचा सकती है। ड्रोन उन जगहों पर भी सूचना भेज सकता है जहां, किसी भी तरह के कम्युनिकेशन की व्यवस्था न हो। इस ड्रोन से भारतीय सेना को दुर्गम इलाकों में सूचना भेजी सकती है। इस ड्रोन की कई टेस्टिंग भी की गई है, जिसमें सफलता मिली है।

विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हरि प्रभात गुप्ता ने तकनीक विकसित की है। इस नवाचार में विशेष रूप से निर्मित उपकरणों और ड्रोन-आधारित रिले नेटवर्क को जोड़ा गया है, जिससे विश्वसनीय और लंबी दूरी की संचार व्यवस्था का नया रास्ता खुला है। खाली जगहों पर इसकी लाइट ऑटोमैटिक बुझ सकती है। प्राकृतिक प्रकाश की उपलब्धता के अनुसार लाइट व्यवस्था को दुरुस्त करता है।

भविष्य में अंतरिक्ष से पृथ्वी तक होगा संचार:
यह शोध कार्य टीआईआई-यूएई, आईडीएपीटी हब फाउंडेशन और सर्ब द्वारा समर्थित है। टीम अब इस तकनीक को स्मार्ट इंफ्रा, भूमिगत, दुर्गम क्षेत्रों में संचार और भविष्य में अंतरिक्ष से पृथ्वी तक संचार के काम में इस्तेमाल करेगी। इसका अगला चरण है – एआई आधारित ऑटोमैटिक ड्रोन पथ अनुकूलन और सुरक्षित संचार के लिए एन्क्रिप्शन स्तरों का एकीकरण।

राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ होगा किफायती भी:
डॉ. हरि प्रभात गुप्ता के अनुसार, ये ड्रोन एक गतिशील जाल नेटवर्क बनाते हैं जो भौगोलिक परिस्थितियों के मुताबिक खुद को ढाल लेते हैं। यह प्रणाली रक्षा क्षेत्र, सीमा निगरानी, सीमावर्ती क्षेत्रों में संचार और आपदा प्रबंधन के लिए विशेष उपयुक्त मानी जा रही है। इसका उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा, आपातकालीन बचाव कार्यों और ऑफ-ग्रिड मिशन-आधारित संचालन में भी किया जा सकता है।

बहुमंजिला इमारतें इस सक्षम प्रणाली से होंगी लैस:
संस्थान के निदेशक प्रो. अमित पात्रा ने कहा कि इस शोध के लिए वित्तीय और संरचनात्मक दोनों प्रकार का सहयोग प्रदान किया गया है। साथ ही, संस्थान अगली उपलब्धि के लिए भी सहयोग कर रहा है। इसमें मौजूदा बहु-मंजिला इमारतों को LoRaWAN सक्षम प्रणाली से लैस किया जाएगा। यानी कि भवनों को लॉग्न रेंज वाइड एरिया नेटवर्क(साभार एजेंसी)

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