(वाराणसी UP)27मई,2025.
काशी में बनारसी सिल्क से शुरू हुआ जीआई उत्पादों का सफर अब हैंडीक्राफ्ट, हैंडलूम, मिठाई, फल-सब्जी से भी आगे बढ़ चला है। उत्तर प्रदेश में एक मात्र बनारस ही ऐसा शहर है, जहां सबसे अधिक 32 जीआई उत्पाद हैं। काशी के जीआई माॅडल पर देश के 24 राज्यों में भी जीआई टैगिंग पर काम शुरू हुआ है। काशी के रहने वाले जीआई विशेषज्ञ और पद्मश्री डॉ. रजनीकांत इन 24 राज्यों में जीआई उत्पादों की अलख जगा रहे हैं।
केंद्र व राज्य सरकार और नाबार्ड के प्रयास से उत्पादों की मार्केटिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग में सहयोग करते हुए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा रहे हैं। डॉ रजनीकांत के तकनीकी सहयोग से देश के 24 राज्यों में 357 जीआई फाइल हुए, जिसमें 157 जीआई ग्रांट हो चुके हैं, यानी की उन्हें प्रमाणपत्र मिल चुका हैं।
जीआई मैन कहे जाने वाले डॉ. रजनीकांत ने बताया कि काशी के जीआई माडल पर केंद्र व राज्य सरकार समेत नाबार्ड, एमएसएमई मंत्रालय और सिडबी के प्रयास से 24 राज्यों में जीआई उत्पादों को विशेष पहचान दिलाने पर काम किया जा रहा है। पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर दक्षिण, उत्तर और पश्चिमी राज्य में बल्क में जीआई फाइल हुए। जम्मू कश्मीर में 17 जीआई उत्पादों का सफर 27 तक पहुंच गया है।
उन्होंने बताया कि लद्दाख के जहां सिर्फ तीन जीआई थे, अब वहां नौ प्रक्रिया में हैं। झारखंड में एक जीआई है, अब नौ प्रक्रिया में शामिल हैं। त्रिपुरा में चार जीआई उत्पाद हैं, अब 21 जीआई प्रक्रिया में आ चुके हैं। अरुणाचल में 20 जीआई हैं, जो कि अब 24 जीआई फाइल हो चुके हैं।
मणिपुर में सात जीआई, आसम में 10 जीआई, बिहार में नौ जीआई और नौ प्रक्रिया में हैं। उत्तराखंड में 27 जीआई हैं। छत्तीसगढ़ में एक जीआई और अब नौ प्रक्रिया में हैं। हिमाचल में एक जीआई और अब प्रक्रिया में चार है। मध्य प्रदेश में 10 जीआई, राजस्थान में 12 जीआई और 20 प्रक्रिया में है। गुजरात में 9 जीआई और 18 प्रक्रिया में आ चुके हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से एक साल में 100 से अधिक जीआई फाइल किए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जीआई टैग का लाभ यह है कि उत्पादकों को कानूनी सुरक्षा मिलती है। उत्पाद की गुणवत्ता और प्रतिष्ठा बढ़ती है।
जीआई टैग को ऐसे समझें:
डॉ. रजनीकांत ने बताया कि भौगोलिक संकेतक या जियोग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) एक ऐसा चिह्न है, जो किसी उत्पाद को विशेष भौगोलिक स्थान या मूल से जोड़ता है। यह टैग उन उत्पादों को दिया जाता है, जो उस विशेष स्थान के भौगोलिक वातावरण, परंपरा या संस्कृति से मेल खाती हैं और इस वजह से उनमें विशिष्ट गुण होते हैं। उत्पाद की गुणवत्ता और पहचान को बढ़ावा देना, उत्पाद को दूसरों से अलग और विशिष्ट बनाना, उत्पाद को स्थानीय अर्थव्यवस्था में बढ़ावा देना और उत्पाद को नकली या खराब नकल से बचाना है।(साभार एजेंसी)