(लखनऊ, UP) 23जून,2025.
जंगल से बाहर पुनर्वासित किए जाने वाले परिवार के प्रत्येक पुरुष (बालिग) को 10 लाख रुपये दिए जाएंगे। साथ ही अचल संपत्ति के मूल्य की भरपाई सरकार करेगी। पहले चरण में इस योजना में दुधवा टाइगर रिजर्व के कतर्नियाघाट वन क्षेत्र में 118 लोगों को चिह्नित किया गया है। जंगल से बाहर बसने के लिए उनकी सहमति ले ली गई है।
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2024-25 में मानव-वन्यजीव संघर्ष में 60 लोग मारे गए थे, जबकि 220 लोग घायल हुए थे। ये घटनाएं कतर्नियाघाट, साउथ खीरी, बहराइच, नॉर्थ खीरी और बिजनौर के इलाकों में हुई। इससे पहले के वर्ष में यह संख्या क्रमशः 84 और 174 थी। वर्ष 2023 में बिजनौर में ही फरवरी से अगस्त के बीच तेंदुओं ने 13 लोगों को मार डाला था। जंगली जानवरों के मानव पर हमलों को न्यूनतम करने के लिए एक फैसला यह भी किया गया है कि जंगल के भीतर जिन इलाकों में ज्यादा बाघ हैं, वहां से इंसानों को जंगल के बाहर बसाया जाए। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से भी योजना को हरी झंडी मिल गई है।
विस्थापित होने वाले लोगों के लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनसीटीए) की गाइडलाइंस के अनुसार मुआवजा मिलेगा। इस गाइडलाइंस के अनुसार 18 वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक पुरुष (पत्नी, नाबालिग बच्चों व अविवाहित पुत्रियों सहित) को अलग पात्र इकाई माना गया है। प्रत्येक शारीरिक व मानसिक तौर पर दिव्यांग व्यक्ति, जो किसी भी आयु या लिंग का हो सकता है, उसे अलग परिवार माना गया है। नाबालिग अनाथ (जिसके माता-पिता दोनों की मृत्यु हो चुकी है) को भी अलग परिवार माना गया है। इस योजना में प्रत्येक पात्र को 10 लाख रुपये के अलावा कृषि भूमि, आवास, कुंआ, हैंडपंप और पेड़ आदि के मूल्य का आकलन भी किया जाता है। इस मूल्य का भुगतान भी मुआवजे के रूप में किया जाएगा। (साभार एजेंसी)