( बरेली,UP )01जुलाई,2025.
आदिवासी मूल और वंचित वर्ग की बेटी से भारत गणराज्य के राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाली द्रौपदी मुर्मू के दिल में शोषित वर्ग का दुश्वारियों भरा जीवन जीवंत है। शायद तभी उनके भाषण के केंद्र में बेटियों, किसानों और बेजुबान पशुओं का ही जिक्र रहा।बरेली में आईवीआरआई के दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति ने गांव, गरीब को लेकर चिंता जताई और नए पशु चिकित्सकों व वैज्ञानिकों को प्रेरित किया कि वह इनके उत्थान के लिए काम करें। मुख्यमंत्री समेत अन्य वक्ताओं ने भी आखिरी पंक्ति के व्यक्ति तक पशु स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने पर जोर दिया।
डिग्री लेने वालों में छात्राओं की ज्यादा संख्या देखकर राष्ट्रपति ने खुशी जताई। उन्होंने कैटल शेड की चर्चा करते हुए कहा कि पुराने समय से ही देखा जा रहा है कि पुरुष खेती व अन्य बाहरी काम करते थे और परिवार में मां-बहनें गायों की सेवा करती थीं। पशुओं से माता-बहनों का जुड़ाव नया नहीं है। पशु चिकित्सा के क्षेत्र में बेटियों का जुड़ाव देखकर उन्हें अच्छा लग रहा है। उन्हें यकीन है कि महिलाएं पशु रोगों के निदान में ज्यादा सेवाभाव से काम कर सकती हैं। छात्राओं से कहा कि जब आप लोगों ने भविष्य के लिए पशु सेवा का ध्येय चुन लिया है तो पूरे मन से इनके कल्याण के लिए काम कीजिए।
शिवराज ने भांजे-भांजी कहकर बनाया जुड़ाव:
मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते मामा उपनाम से चर्चित रहे केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज ने अपने संबोधन का आगाज ही छात्र-छात्राओं को भांजें-भांजियों कहकर किया। कहा कि यह केवल डिग्री नहीं, यह देश, किसान और पशुपालकों के कल्याण की बड़ी जिम्मेदारी है। शिवराज ने स्वामी विवेकानंद के कथन का उदाहरण देकर उन्हें प्रेरित किया कि आप अकेले नहीं हैं। आप राष्ट्र के भविष्य हैं। आप जो सोचेंगे, वही बनेंगे। देश को ऐसे वैज्ञानिकों की जरूरत है जो ज्ञान को सेवा में बदलें।
मुख्यमंत्री ने किया नाथ नगरी और झुमके का जिक्र:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बरेली को देश की पौराणिक और आध्यात्मिक नगरी बताकर राष्ट्रपति को इसकी खासियत बताई। कहा कि यह क्षेत्र प्राचीन काल में पांचाल राज्य के रूप में विख्यात था। यहां भगवान शंकर के सात प्राचीन मंदिर स्थापित हैं। इनके साथ ही राष्ट्रीय स्तर का संस्थान आईवीआरआई भी बरेली को नई पहचान दे रहा है। अंत में उन्होंने झुमके का जिक्र कर भी बरेली का नाम लिया।(साभार एजेंसी)