उगाइए पाम पेड़,सरकार मुफ्त पौधे व सब्सिडी दे रही

MP/ Chhatishgarh

(कोरबा,छत्तीसगढ़)20जुलाई,2025.

कोरबा जिले के किसानों को कुकिंग ऑयल के व्यवसाय में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पाम की खेती से जोड़ने का प्लान है। केंद्र सरकार की योजना के तहत उद्यानिकी विभाग की ओर से किसानों को मुफ्त पौधे, सब्सिडी के साथ ही कई सुविधाएं दी जा रही है। इस साल जिले में 300 हेक्टेयर खेत में 43 हजार 500 पौधे लगाए जाएंगे। पाम के पौधों से 4 साल में फल तैयार होने लगेंगे।एक पेड़ के फल से लगभग 70 लीटर तेल तैयार होगा। जिसके बिक्री का भी इंतजाम विभाग ने किया है।

क्या है पाम के पेड़?

पाम के पेड़ ताड़ की प्रजाति के वृक्ष हैं
इसकी ऊंचाई अधिकतम 50 फीट तक हो सकती है।
सामान्य तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, ओडिशा क्षेत्र में पाम तेल की खेती अधिक पैमाने पर होती है।
पाम के पेड़ पर फल गुच्छे में लगते हैं।इसी फल से तेल निकाला जाता है।
इसी तेल को पाम ऑयल कहा जाता है।
पाम के पेड़ में एक साल में दो बार फल लगते हैं।
पेड़ों के ठीक तरह से लग जाने के बाद किसान साल में दो बार फसल ले सकते हैं।

किसानों को पाम की खेती और पाम ऑयल से जोड़ने की तैयारी
धान और तिलहन तक सीमित हैं किसान: अब तक की स्थिति में जिले के ज्यादातर किसान धान की खेती करते हैं। तिलहन की बात की जाए तो किसान ढाई हजार हेक्टेयर में सरसों, मूंगफली और तिल की खेती करते हैं। इसका उत्पादन इतना अधिक नहीं हो पाता कि उसका तेल निकालने के लिए उपयोग कर सकें। अब किसानों को पाम की खेती से जोड़ने की जिम्मेदारी जिला उद्यानिकी विभाग को दी गई है।

25 साल तक देता है फल: विभागीय अधिकारी की माने तो पाम के पौधे खाली पड़े़ पठारी भूमि में रोपा जा सकता है।चार साल में तैयार होने वाले ये पेड़ अधिकतम 25 वर्ष तक फल देते हैं। फिलहाल जिले के पांचों विकासखंड में 60-60 हेक्टेयर में पौधों की रोपणी की जाएगी। अभी तक पाली और करतला विकासखंड में 15 हेक्टेयर में पौधे की रोपणी की जा चुकी है।

किसान विकासखंड मुख्यालय से संपर्क कर सकते हैं: रोपणी के लिए इच्छुक किसानों को अपनी जमीन का दस्तावेज दिखाना होगा, बाजार में खाद्य तेल 120 रुपए लीटर बिक रहा है- पीआर सिंह, उद्यानिक विभाग के सहायक संचालक

पाम की खेती के लिए सुविधाएं दी जा रहीं:

किसानों को निशुल्क पौधे प्रदान किए जाएंगे।
हर साल 7000 रुपए की वित्तीय सहायता भी किसानों को दी जा रही है।
पौधों की देखभाल, खाद, पानी के लिए भी फेंसिंग समेत कई सुविधाएं दी जा रही है।
प्रत्येक हेक्टेयर में किसान लगभग दो लाख रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
कंपनी के साथ MoU भी कर लिया गया है।
किसान जब फल उगाएंगे तब 18 रुपए प्रति किलो के हिसाब से उनके फल खरीद लिए जाएंगे।
किसानों को उत्पादन के बाद इसे कहां बेचना है, इसकी भी व्यवस्था।

कंपनी करेगी बीज व तेल की खरीदी: जिले में पौधे की आपूर्ति ओडिशा से हो रही है। प्री युनिक एशिया कंपनी को आपूर्ति की जिम्मेदारी केंद्र सरकार ने दी है। खास बात यह है पेड़ तैयार होने के बाद किसानों तेल निकालने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।इसके लिए प्रोसेसिंग यूनिट भी लगाई लगाई जाएगी।किसान चाहें तो तैयार बीज को कंपनी को भी बेच सकेंगे(साभार एजेंसी)

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