(लखीमपुर खीरी,UP)29जुलाई,2025.
लखीमपुर खीरी जिले में देवकली का देवेश्वर नाथ मंदिर आसपास के जिलों के लोगों की आस्था का केंद्र है। नागपंचमी के दिन काल सर्प योग के निदान के लिए देवकली का विशेष महत्व है। मान्यता है कि राजा जन्मेजय ने पुराण प्रसिद्ध सर्प यज्ञ यहीं पर किया था। सर्पाहुति के लिए बने कुंड में स्नान करने व कुंड की मिट्टी ले जाकर घर में रखने से सांपों के डसने व घरों में आने का भय नहीं रहता।
देवकली के आचार्य प्रमोद दीक्षित ने बताया कि राजा परीक्षित को मुनि के श्राप के कारण तक्षक नामक सर्प ने डस लिया था और उनकी मौत हो गई थी। परीक्षित के पुत्र जन्मेजय सर्प से नाराज हो गए। सर्प के वंश को समाप्त करने के लिए सर्प की आहुति के लिए यज्ञ कराया था। देवकली में सर्प यज्ञ करने के लिए यहां एक कुंड खोदवाया गया था। उसी में सांपों की आहुति दी गई थी। इससे विश्व के तमाम सर्प उसमें जलकर समाप्त हो गए।
अंतिम मंत्र तक्षक सर्प की आहुति के लिए किया। तक्षक सर्प ने अपनी रक्षा के लिए भगवान इंद्र से मदद मांगी और उनके सिंहासन से लिपट गया, जिससे इंद्र का सिंहासन भी यज्ञ कुंड में गिरने लगा। तब इंद्र ने तक्षक सर्प व सिंहासन की रक्षा के लिए ब्राह्मण का वेश धरकर जन्मेजय से अंतिम आहुति वरदान में मांग ली। इससे तक्षक सर्प की जान बच गई।
मान्यता : सर्प कुंड में स्नान करने से सांपों के डसने का नहीं रहता भय:
मंदिर के पुजारी बाबा सुमेर गिरि ने बताया कि नागपंचमी के दिन यहां लगभग 65 वर्षों से मेला लगता आ रहा है। बाबा देवेश्वर नाथ मंदिर के पास ही सर्प कुंड बना हुआ है। इस कुंड में स्नान करने से व्यक्ति को एक वर्ष सांप काटने का भय नहीं रहता। कुंड की मिट्टी घर में रखने से घरों में सांपों के आने का भी भय नहीं रहता है। विशेष कर यहां नाग पंचमी के दिन मेला लगता है। मेले में आए श्रद्धालु कुंड में स्नान करने के साथ मिट्टी घर ले जाते हैं।
12 प्रकार के होते हैं कालसर्प योग दोष:
आचार्य प्रमोद दीक्षित ने बताया कि कालसर्प योग दोष मुख्यतः 12 प्रकार के होते हैं। इसके विभिन्न रूपों को जोड़कर आंशिक कालसर्प योग दोष 3456 प्रकार का बनता है। जातक के जन्म के समय में राहु एवं केतु के मध्य में जब सभी ग्रह स्थित होते हैं, ज्योतिष में उसको कालसर्प योग दोष कहते हैं।
कालसर्प योग दोष होने के कारण शेष सात ग्रह स्वतंत्र रूप से अपना कार्य नहीं कर पाते हैं। कालसर्प योग दोष शांति के लिए गोदावरी नदी एवं त्रयंम्बकेश्वर (ज्योतिर्लिंग) महादेव का सानिध्य होना अनिवार्य हैं। जिन लोगों को कालसर्प योग का दोष होता है इस दोष को दूर करने के लिए नागपंचमी के दिन देवकली में आकर नाग देवता की पूजा करने से दोष मुक्त हो जाते हैं।
नेपाली बाबा ने देवकली में स्थापित किए थे 12 ज्योतिर्लिंग:
देवकली तीर्थ स्थल का सर्पों पर विशेष उपकार है। सन् 1994 में नेपाल से आए सदगुरुदेव भगवान (भवानी प्रसाद उपाध्याय) नेपाली बाबा के नाम से प्रसिद्ध गुरू ने कुंभी से आच्छादित देवतीर्थ को साफ कराया एवं गोदावरी नदी के जल सहित गंगा आदि नदियों से जल लाकर तीर्थ को प्रतिष्ठित किया था। भगवान त्रयंम्बकेश्वर (ज्योतिर्लिंग) सहित द्वादश ज्योतिर्लिंगों को प्रतिष्ठित किया है।इसलिए कालसर्प योग शांति के लिए देवकली तीर्थ स्थल का विशेष महत्व है।(साभार एजेंसी)