एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय प्रगति को मापने के लिए देश के प्रमुख उपकरण का चौथा संस्करण आज नीति आयोग द्वारा जारी किया गया। सूचकांक का शुभारंभ नीति आयोग के उपाध्यक्ष श्री सुमन बेरी ने नीति आयोग के सीईओ श्री बी. वी. आर. सुब्रह्मण्यम, भारत में संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट समन्वयक श्री शोम्बी शार्प, नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार डॉ. योगेश सूरी और यूएनडीपी की उप रेजिडेंट प्रतिनिधि सुश्री इसाबेल त्सचन हराडा की उपस्थिति में किया।
एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2023-24 सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) के राष्ट्रीय संकेतक की संरचना (एनआईएफ) से जुड़े 113 संकेतकों पर सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की राष्ट्रीय प्रगति को मापता है और ट्रैक करता है। एसडीजी इंडिया इंडेक्स प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के लिए 16 एसडीजी पर लक्ष्य-वार स्कोर की गणना करता है
16 एसडीजी में इसके प्रदर्शन के आधार पर उप-राष्ट्रीय इकाई के समग्र प्रदर्शन को मापने के लिए लक्ष्य-वार स्कोर से समग्र राज्य और केंद्रशासित प्रदेश स्कोर या समग्र स्कोर तैयार किए जाते हैं। ये स्कोर 0-100 के बीच होते हैं, और यदि कोई राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश 100 का स्कोर प्राप्त करता है, तो यह दर्शाता है कि उसने लक्ष्य हासिल कर लिया है। किसी राज्य/ केंद्रशासित प्रदेश का स्कोर जितना अधिक होगा, लक्ष्य की दिशा में उतनी ही अधिक दूरी तय की जाएगी।
सतत विकास पर 2030 एजेंडा को अपनाने के बाद से एसडीजी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता नीति आयोग की अगुवाई में एसडीजी स्थानीयकरण पर ठोस प्रयासों में परिलक्षित होती है, जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर काम करता है। नीति आयोग के पास देश में सतत विकास लक्ष्यों को अपनाने और उनकी निगरानी करने तथा राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच प्रतिस्पर्धी और सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने का दोहरा दायित्व है। राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के साथ मिलकर नीति आयोग ने सतत विकास लक्ष्यों को संस्थागत करने – न केवल सतत विकास को एक स्वतंत्र या समानांतर ढांचे के रूप में देखना, बल्कि संस्थागत स्वामित्व, सहयोगात्मक प्रतिस्पर्धा, क्षमता विकास और समग्र समाज के दृष्टिकोण का पालन करके विकास के बारे में राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय सोच का अभिन्न अंग बनाना इत्यादि पर ध्यान केंद्रित किया है।
2018 में एसडीजी इंडिया इंडेक्स के लॉन्च ने स्थानीयकरण को बढ़ावा दिया, जिससे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को इस परिवर्तनकारी यात्रा में प्रमुख हितधारकों के रूप में पुष्टि मिली। लक्ष्यों पर प्रगति का व्यापक और तुलनात्मक विश्लेषण प्रदान करने के लिए एसडीजी इंडिया इंडेक्स में पिछले कुछ वर्षों में लगातार सुधार किया गया है। सहयोगात्मक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर, इंडेक्स न केवल उपलब्धियों को उजागर करता है, बल्कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को परिणाम-आधारित अंतराल को कम करने के लिए एक-दूसरे से सीखने के लिए प्रोत्साहित करता है। विश्व स्तर पर स्वीकृत एसडीएसएन पद्धति के आधार पर, सूचकांक के विकास में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (प्राथमिक हितधारकों); सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वन मंत्रालय; केंद्रीय मंत्रालयों; और संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के साथ व्यापक परामर्श किया गया। यह सूचकांक 2030 एजेंडा के तहत वैश्विक लक्ष्यों की व्यापक प्रकृति की अभिव्यक्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि यह राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप है।