(वाराणसी)12अगस्त,2024.
एजेंसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार गंगा में आई बाढ़ के कारण अस्सी से राजघाट और तटवर्ती इलाकों की दुश्वारियां बढ़ गई हैं। दशाश्वमेध घाट की छतों पर गंगा आरती हो रही है तो अस्सी घाट की सीढि़यों पर। मणिकर्णिका घाट की छत और हरिश्चंद्र घाट की गलियों में शवदाह किया जा रहा हे। जलस्तर बढ़ने के कारण गंगा की सहायक नदी वरुणा में बढ़ाव से पांच हजार से ज्यादा लोग प्रभावित हैं। तटवर्ती क्षेत्र से सटे हुए इलाकों में रहने वाली आबादी परिवार और गृहस्थी का सामान सुरक्षित करने के साथ ही रात जागकर बिता रही है।
दीनदयालपुर के डॉ. मोबिन ने बताया कि उनके आसपास के क्षेत्रों में घरों में पानी घुस जाता है। लोग जाग-जागकर रात बिता रहे हैं। पुराना पुल के शमसाद ने बताया कि उन लोगों ने पहले तल पर सारा सामान पहुंचा दिया है। हर साल वरुणा का पानी घरों में घुस जाता है। काफी संख्या में जो एक तल्ले वाले मकान में रहने वाले तो अपना घर छोड़कर ऊंचे स्थान पर चले गए हैं। पांच हजार से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं।
ढाब के मैदानी इलाकों की फसलें बाढ़ में डूबीं:
गंगा के जलस्तर में लगातार हुई वृद्धि के चलते बाढ़ का पानी ढाब क्षेत्र के सोता एवं गंगा किनारे गांवों में नाले के रास्ते प्रवेश कर गया। इसके चलते रामचंदीपुर एवं मोकलपुर के मैदानी इलाकों में पहुंचे पानी से मक्का,ज्वार व पशु चारा की फसलें प्रभावित हुई हैं। रामचन्दीपुर के किसान शिवपूजन निषाद , लल्लू , नंदलाल,कैलाश, राधेश्याम , रमेश आदि ने बताया कि उनके व आस-पास के किसानों के मक्का के खेत में पानी भर गया है। अब वह फसल नष्ट हो जाएगी।
नमो घाट पर बाढ़ का पानी देखने वालों की लग रही भीड़:
नमो घाट पर इन दिनों बाढ़ का पानी देखने वालों की भारी भीड़ लग रही है। नमो घाट के फेस वन और फेस टू में सुबह से लोगों का जमावड़ा लगना शुरु हो जा रहा है। इस दौरान लोग फोटो और मोबाइल से अपनी सेल्फी लेने के चक्कर में पानी में भी उतर जा रहे हैं।नमो घाट के फेस वन को एहतियातन रस्सी लगा कर बंद कर दिया गया था, लेकिन घाट खुला होने के कारण लोगों के आने जाने का सिलसिला बंद नहीं हुआ। घाट पर पुलिस और सुरक्षा कर्मी तो लगे हुए थे, लेकिन इसके बावजूद भी पानी में उतर कर लोग फोटो वीडियो बना रहे थे।
बाढ़ के पानी में बहकर आए मवेशियों के शव और गंदगी के कारण बढ़ी दुश्वारियां
गंगा की सहायक नदी वरुणा का पानी लगातार मैदानी इलाकों की ओर बढ़ रहा है। गंगा में घटाव के बावजूद पलट प्रवाह के कारण वरुणा अब भी बढ़ रही है। हुकुलगंज, बघवानाला और मौजा हाल इलाके में लोगों के घरों के बाहर बाढ़ के पानी में बह कर आए मवेशियों का शव और मलबा लगा हुआ है।
पतालु पटेल, दिलीप, शिवा जी, प्रमोद ने बताया कि उनके मकान के बाहर मवेशियों का शव उतराया हुआ है। स्थिति ऐसी है कि बाढ़ की मार झेलने के साथ उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है। उधर, नक्खी घाट, दीनदयालपुर, पुलकोहना और उचवां मोहल्ले में वरुणा का पानी 200 से अधिक लोगों के घरों के अंदर हिलोरे मार रहा है। लोग अपने परिवार के साथ अन्यत्र को जाने को विवश हैं।
मवेशियों के लिए नहीं मिल रहा चारा:
बाढ़ में डूबे दीनदयालपुर में रहने वाले कई लोगों ने बताया कि वह खुद तो जैसे तैसे दिन काट ले रहे हैं, लेकिन उनके मवेशियों के लिए चारा नहीं मिल पा रहा है। घर के अंदर बाढ़ का पानी घुसने के कारण वह बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। नंदलाल, दाढ़ी चौधरी, कल्लू प्रजापति ने बताया कि वह अबतक घर में रखे चारे और भूंसा को मवेशियों को खिला रहे थें। अब उनके सामने मवेशियों का पेट भरने का संकट है।
सलारपुर इलाके में दर्जनों मकानों में घुसा बाढ़ का पानी:
गंगा का जलस्तर बढ़ने के साथ वरुणा नदी अपने उफान पर है जबकि शुक्रवार को बढ़ते पानी का ठहराव हो गया है। सारनाथ सलारपुर के डिपो कालोनी के पास इलाके में रात में बाबू पटेल, विनोद, राधे श्याम, लालजी, रवि के दर्जनों मकानों में बाढ़ का पानी घुस गया। अधिकांश लोगों ने बाढ़ राहत शिविर की शरण ली। हीरा लाल राजभर,जय सिंह राजभर सहित अन्य लोग अपने मकान के पास ही पाॅलीथिन डालकर गुजर बसर कर रहे हैं। इसी तरह पुराना पुल पुलकोहना, रुप्पनपुर नटुई, दनियालपुर, सलारपुर चमेलिया बस्ती में भी बाढ़ का पानी दर्जनों मकानों में घुस गया है। लोग अन्य जगहों पर किराए के मकान में गुजर बसर कर रहे हैं।(साभार अ.उ.एजेंसी)