(वाराणसी UP)14नवम्बर,2024.
काशी गंगा महोत्सव की दूसरी संध्या में गायन,वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां हुईं। इस दौरान सूफी गीत, तेज धुन पर युवाओं की टोली झूमती रहीं।
अस्सी का किनारा, सूफी गीत, तेज धुन, झूमती युवाओं की टोली… हर गीत पर तालियों की गड़गड़ाहट। जैसे ही साधो द बैंड का समय पूरा हुआ पूरा मुक्ताकाशीय मंच वंस मोर, वंस मोर… से गूंज उठा। समय पूरा हो चुका था लेकिन सुनने वालों का मन नहीं भरा था। दर्शकों की चाहत का आलम यह था कि महज 20 मिनट के समय को 45 मिनट करना पड़ा। काशी गंगा महोत्सव की दूसरी शाम शास्त्रीय संगीत से शुरू होकर सूफी गीतों तक पहुंची।
नई दिल्ली से आई साधो द बैंड की टीम ने महोत्सव की छठवीं प्रस्तुति के रूप में मंच संभाला। उन्होंने भगवान शिव की धरती और मां गंगा को नमन करते हुए अपनी शुरुआत की। पहली प्रस्तुति अगड़ बम बबम, बगड़ बम बबम, बम बबम बम, बम लहरी… की तान जब शुरू हुई तो मुक्ताकाशीय मंच के चारों तरफ जमी श्रोताओं की भीड़ मंत्रमुग्ध सी नजर आई।
साधो द बैंड के मयंक ने कहा कि हमने कब कहा वो शख्स हमारा हो जाए, बस इतना दिख जाए कि आंखों का गुजारा हो जाए… के जरिये युवाओं के दिल को छूने की कोशिश की। इसके बाद उन्होंने तेरे नाम से जी लूं तेरे नाम से मर जाऊं…, इश्क की साजिशें, इश्क की बाजियां…और राम को देखकर यू जनकनंदिनी बाग में खड़ी की खड़ी रह गई… सुनाया।
इसके बाद बारी थी सूफी गीत झूले-झूले लाल दम मस्त कलंदर… और दो नैन तैरे… जब मिले तो चार हुए… से उन्होंने समापन किया। टीम में मयंक कश्यप, शिवांग शर्मा का गायन, ड्रम्स पर जतिन, बांसुरी पर विशाल, कीबोर्ड पर प्रिंस, मुकुल गिटार पर रहे। इसके पूर्व पांचवीं प्रस्तुति मुंबई के बंदा बैरागी की रही। उन्होंने जो सुख पायो राम भजन में मन लागा मेरो यार फकीरी में… की प्रस्तुति दी।
डॉ. मधुमिता भट्टाचार्य शास्त्रीय एवं उप शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति लेकर मंच पर पहुंचीं। उन्होंने राग बागेश्री विलंबित ख्याल एकताल में सखी मन लागे ना… से शुरुआत की। इसके साथ ही नयनिका घोष और अनु सिन्हा का कथक, जगदीश्वर प्रिया लक्ष्मी फाउंडेशन का समूह नृत्य और अरुण मिश्रा का गायन हुआ। मंच संचालन प्रीतेश आचार्य और ललिता शर्मा ने किया(साभार एजेंसी)