सेंटर ऑफ एक्सीलेंस योजना के तहत पूर्वांचल की बागवानी और फसलों को भी चुना गया है। बनारस के औषधीय पौधों, फूलों के साथ मिर्जापुर के स्ट्रॉबेरी और ड्रैगन फ्रूट को भी विकसित किया जाएगा।
वहीं, चंदौली में सब्जी के विस्तार की तैयारी है। ऐसे ही अन्य जिलों की फसलों का भी चयन हुआ है। इनको देश-प्रदेश में पहचान दिलाने की तैयारी है। किसानों को रोगमुक्त पौधे भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
पूर्वांचल के विभिन्न जिलों में सब्जियों से लेकर फलों की खेती होती है। उद्यान विभाग इसे बढ़ाने की तैयारी में है। हर जिले की अलग-अलग फसलों के लिए सेंटर ऑफ एक्सीलेंस योजना के तहत कार्ययोजना तैयार की जा रही है। बनारस दौरे में प्रदेश उद्यान राज्यमंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि प्रदेशभर की बागवानी फसलों को चुना गया है।
योजना के तहत पूर्वांचल के कई जिलों की फसलों का विकास होगा। बनारस में फूलों की खेती को बढ़ाया जाएगा। इससे पूरे देश के साथ विदेशों में भी निर्यात हो सकेगा। वनारस अभी अपनी क्षमता का 10 फीसदी उत्पादन कर पाता है।
किसानों को मदद मिले तो उत्पादन बढ़ सकता है। मिर्जापुर में स्ट्रॉबेरी, ड्रैगन फ्रूट, चंदौली में सब्जी की खेती भी बढ़ेगी। राज्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के 73 जिलों में दो-दो हाईटेक नर्सरियां बनाई जा रही है।
रोगमुक्त पौधे उगाकर किसानों को कम दामों में दिए जाएंगे। वहीं, कुछ शहरों के एयरपोर्ट के पास इंटीग्रेटेड टेस्टिंग ट्रीटमेंट पार्क बनेंगे। बनारस में भी तीन नर्सरियां बन रही हैं।
साल में 126 करोड़ रोगमुक्त पौधे देने का लक्ष्य:
उत्तर प्रदेश के उद्यान विभाग ने 2026 तक किसानों को सब्जियों, फूलों आदि के 126 करोड़ रोगमुक्त पौधे देने का लक्ष्य रखा है। अभी किसानों को 16.74 करोड़ पौधे मिलेंगे। हाईटेक नर्सरियों के शुरू हो जाने से सामान्य किसानों को भी उन्नत किस्म के बीज और पौधे आसानी से मिल जाएंगे। किसान एक रुपये और बीज देकर पौधा तैयार करा सकेंगे। बीज के बिना पौधा चाहिए तो दो रुपये देने होंगे। (साभार एजेंसी)