(लखनऊ)12दिसम्बर,2024.
टैक्स चोरी रोकने और राजस्व वृद्धि में नए स्रोत तलाशने के लिए उत्तर प्रदेश में पहली बार रिसर्च सेंटर बनाया गया है। गैर परंपरागत सेक्टरों पर फोकस के साथ ही टैक्स चोरी के लिए कुख्यात सेक्टरों पर शोध होगा। उसे एआई, डाटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग से कैसे रोका जा सकता है, इसका अध्ययन किया जाएगा। केस स्टडीज होंगी। देशभर के टैक्स एक्सपर्ट अधिकारियों को प्रशिक्षण देंगे। प्रमुख सचिव एम. देवराज ने राज्य कर विभाग के प्रशिक्षण संस्थान ‘वाणिज्य कर अधिकारी प्रशिक्षण संस्थान’ को ‘उत्तर प्रदेश राज्य कर प्रशिक्षण एवं शोध संस्थान’ में तब्दील कर दिया है।
आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में जीएसटी कलेक्शन सबसे ज्यादा है। पिछले वर्ष 1.10 लाख करोड़ रुपये का जीएसटी संग्रह हुआ था। इस वर्ष मार्च तक ये लक्ष्य 1.56 लाख करोड़ रुपये है। इसके बावजूद केंद्र और राज्य की जांच एजेंसियों की रिपोर्ट के मुताबिक कम से कम 15 हजार करोड़ रुपये सालाना की जीएसटी चोरी हो रही है। इसमें बाहर से टैक्स चोरी के रास्ते आने वाले उत्पाद शामिल नहीं हैं। इसके अतिरिक्त जीएसटी में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी महज 25 फीसदी है जबकि पिछले पांच वर्ष में यूपी में सर्विस सेक्टर दोगुना से भी ज्यादा हो गया है। ई कामर्स और आनलाइन बिकने वाले उत्पादों में यूपी की बड़ी हिस्सेदारी है लेकिन टैक्स इस हिसाब से नहीं प्राप्त हो रहा है। संवेदनशील उत्पादों में टैक्स चोरी बदस्तूर जारी है।
इसे देखते हुए लखनऊ में रिसर्च सेंटर बनाया गया है। यहां करापवंचन को रोकने और राजस्व वृद्धि बढ़ाने पर अध्ययन होगा। अधिकारियों को करापवंचन उत्पादों को पकड़ने के नए स्रोत व तकनीक बताई जाएंगी। जीएसटी आने के बाद टैक्स चोरी के कितने नए रास्ते बने हैं और लगातार कितने नए रास्ते ईजाद हो रहे हैं। उन पर केस स्टडी के साथ रिसर्च होगा और उसके परिणामों के आधार पर प्रशिक्षित किया जाएगा।
इंडस्ट्री वार विश्लेषण किया जाएगा। बड़े जिलों पर केस स्टडी की जाएगी। नोएडा, कानपुर, गाजियाबाद, आगरा, मेरठ, लखनऊ और प्रयागराज जैसे परंपरागत जिलों में अपरंपरागत तरीके से हो रही टैक्स चोरी पर रिसर्च किया जाएगा। बड़ों के साथ-साथ छोटे जिलों में होने राजस्व वृद्धि पर पहले स्टडी होगी, फिर बताया जाएगा। शुरुआत 148 सचल दल इकाइयों और 45 विशेष अनुसंधान शाखा से की जाएगी।
जीएसटी के बाद दोगुना हो गया राजस्व
वर्ष राजस्व
2016-17 51819 करोड़
2017-18 58738 करोड़
2018-19 70060 करोड़
2019-20 72931 करोड़
2020-21 80301 करोड़
2021-22 98107 करोड़
2022-23 107406 करोड़
2023-24 110345 करोड़
राज्य कर के प्रमुख सचिव एम देवराज ने कहा कि प्रशिक्षण संस्थान अब शोध संस्थान की तरह काम करेगा। अधिकारियों के प्रशिक्षण को और अधिक उन्नत बनाने, करापवंचन को रोकने और राजस्व प्राप्ति के नए स्रोत खोजने के लिए शोध करने के निर्देश दिए गए थे। मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद अधिकारियों की कार्यशैली में बदलाव आएगा। राजस्व प्राप्ति बढ़ेगी और करापवंचन रोकने में सुधार आएगा।(साभार एजेंसी)