(वाराणसी UP)30दिसम्बर,2024.
वर्ष की अंतिम अमावस्या पर श्रद्धालुओं ने गंगा स्नान करके पितरों को नमन किया। सोमवती अमावस्या पर स्नान, दान और पूजा पाठ के साथ ही पितरों के तर्पण का विधान है। ऐसे में सोमवार को सूर्योदय के साथ ही स्नान और तर्पण का सिलसिला भी आरंभ हो गया। इसके लिए मध्य रात्रि से ही गंगा के तट पर श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था।
सोमवती अमावस्या की शुरुआत सुबह 4:01 बजे से हुई, जिसका समापन 31 दिसंबर को सुबह 5:36 बजे होगा। उदया तिथि के अनुसार अमावस्या का स्नान, दान और अनुष्ठान सोमवार को किया गया।
मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती और पितरों की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। पौष माह की सोमवती अमावस्या पर आत्मशुद्धि, पितृ तर्पण और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान हुआ। गंगा के तट से लेकर पिशाचमोचन कुंड पर पितरों का तर्पण किया गया।
यह ना करें:
तुलसी में जल भूलकर भी नहीं देना चाहिए .
मांस-मछली, मदिरा, प्याज-लहसुन आदि का सेवन नहीं करना चाहिए
किसी के लिए अपशब्द का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
किसी नए काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए।
क्रोध नहीं करना चाहिए, बाल न धोएं।
यह करें:
सात्विक आहार ग्रहण करें।
शिव-पार्वती की पूजा करें।
पितरों को याद कर उन्हें प्रणाम करें। पितरों का पिंडदान और तर्पण करना चाहिए।
गंगा स्नान और दान-पुण्य करना चाहिए।(साभार एजेंसी