(अयोध्या UP)08अप्रैल,2025.
राममंदिर में रामलला पांच साल के बालक के रूप में विराजमान हैं। उनकी सेवा-उपासना एक राजकुमार की तरह होती है। एकादशी पर व्रत रहने की परंपरा है इसलिए रामलला भले ही बालक के रूप में विराजमान हैं लेकिन एकादशी पर व्रत रहते हैं। इसी परंपरा के अनुपालन में बालकराम ने इस एकादशी पर भी मंगलवार को व्रत रखा। रामलला को पुजारियों ने अन्य दिनों से भिन्न फलाहार का भोग अर्पित किया।
रामलला के ठाठ-बाट का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन उनकी सुबह पंचमेवा, पेड़ा और अन्य मिठाई से होती है। उन्हें प्रतिदिन सुबह करीब 6:30 बजे बाल भोग लगाया जाता है। चूंकि एकादशी पर रामलला व्रत थे इसलिए बाल भोग में मंगलवार को उन्हें गरी, छुआरा, किशमिश, काजू, बादाम व मिश्री परोसी गई। दोपहर को रामलला को राजभोग अर्पित किया गया। फलाहार राजभोग में उन्हें कुट्टू अथवा सिंघाड़े के आटे की पूड़ी, पकौड़ी एवं सेंधा नमक से बनी सब्जी परोसी गई। रात को फलाहारी पूड़ी और सब्जी के साथ खीर भी परोसी गई, जिसे पंचमेवा व मखाना से बनाया गया था।
राममंदिर के पुजारी बताते हैं कि रामलला का भोग शुद्ध घी में तैयार किया जाता है। भोग के लिए बनने वाली पूड़ी, सब्जी अथवा पकौड़ी सिर्फ देशी घी में बनती है। रामलला को तीन चीजों से परहेज भी है। उनके भोग में लहसुन-प्याज कभी शामिल नहीं होता और न ही मसूर की दाल बनाई जाती है। शेष दालें उन्हें प्रिय हैं। पर्व व त्योहारों पर उन्हें विशेष भोग अर्पित किया जाता है।
12 को होगी निर्माण समिति की बैठक:
राममंदिर निर्माण समिति की बैठक 12 अप्रैल को होगी। हर माह निर्माण कार्यों की समीक्षा के लिए दो बार बैठक की जाती है। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में निर्माण कार्यों की समीक्षा की जाएगी। साथ ही भावी योजनाओं पर भी मंथन किया जाएगा। राममंदिर का निर्माण कार्य लगभग पूरा हो चुका है जबकि मंदिर परिसर के अन्य प्रकल्पों का निर्माण तेजी से चल रहा है।(साभार एजेंसी)