(ऊना,हिमाचल प्रदेश)16जून,2025.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने राज्य की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही ऊना जिले में ₹20 करोड़ की लागत से आलू प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करेगी।इसके अलावा, किसानों के लिए आलू की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा भी जल्द की जाएगी. मुख्यमंत्री शिमला में आयोजित राज्य स्तरीय मल्टी-स्टेकहोल्डर कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे।
स्थानीय विकास और रोजगार की नई दिशा:
मुख्यमंत्री ने बताया कि ऊना में बनने वाला यह आलू प्रोसेसिंग प्लांट न केवल किसानों को फसल की उचित कीमत दिलाने में मदद करेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।इससे आलू की बर्बादी रुकेगी और किसानों को भंडारण व विपणन की सुविधा मिलेगी।यह प्लांट चिप्स, फ्राइज, पाउडर जैसी वस्तुएं तैयार करेगा जिनकी बाजार में भारी मांग है.
जल्द घोषित होगा आलू का MSP
सुक्खू ने कहा कि सरकार जल्द ही आलू की फसल के लिए MSP (Minimum Support Price) घोषित करेगी ताकि किसान सीधे बाजार के भरोसे न रहें. इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्राकृतिक खेती करने वाले किसानों के लिए पहले से ही MSP निर्धारित की जा चुकी है और आगे इन्हें और बढ़ाया जाएगा।
प्राकृतिक खेती और जलवायु अनुकूल कृषि पर जोर
मुख्यमंत्री ने प्राकृतिक खेती को स्वास्थ्य और पर्यावरण की दृष्टि से अनिवार्य बताया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन और अनियमित मौसम की मार झेल रहे किसान अब टिकाऊ और रसायनमुक्त खेती की ओर रुख करें. इसके लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं और आने वाले वर्ष में नई योजनाएं लाई जाएंगी।
पारंपरिक बीज और फसलों को मिलेगा बढ़ावा:
सुक्खू ने कहा कि राज्य में परंपरागत बीजों और फसलों को पुनर्जीवित करने की जरूरत है, क्योंकि ये कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती हैं और पोषण से भरपूर होती हैं. इसके लिए अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पारंपरिक खेती ही आने वाली पीढ़ियों को स्वस्थ भोजन और स्वच्छ पर्यावरण दे सकती है।
मिलेट्स और जल-संरक्षण की भूमिका अहम
कार्यक्रम में पद्मश्री नेक राम शर्मा ने भी भाग लिया और उन्होंने बाजरा (मिलेट्स) को सुपर फूड बताते हुए कहा कि इसके सेवन से न सिर्फ कुपोषण कम होगा बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी. उन्होंने जल, जंगल और जमीन के संरक्षण को प्राकृतिक खेती का मूल आधार बताया।(साभार एजेंसी)