(लखनऊ,UP )17जुलाई,2025.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से पूर्वांचल और दक्षिणांचल के निजीकरण के विरोध में प्रदेश भर में बुधवार को भी विरोध प्रदर्शन हुआ। समिति के पदाधिकारी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि उड़ीसा में निजीकरण के प्रयोग विफल रहा है। इसे प्रदेश की गरीब जनता पर न थोपा जाए।
निजीकरण के विरोध में बुधवार को 231 वें दिन प्रदेश के सभी जिलों और परियोजनाओं पर विरोध सभाओं का क्रम जारी रहा। पदाधिकारियों ने निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रद्द करने की अपील की। संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए टाटा पावर की चारों कंपनियों को उनकी उपभोक्ता सेवाओं के प्रति विफलता को देखते हुए तलब किया था।
कंपनियों से माकूल जवाब नहीं मिलने पर उड़ीसा विद्युत निगम आयोग ने 15 जुलाई को यह निर्णय दिया कि अगले एक महीने के अंदर टाटा पावर की चारों कंपनियों की उपभोक्ता सेवाओं के प्रति कोताही और अक्षमता के मामले पर अब जनसुनवाई की जाएगी। उड़ीसा की चारों विद्युत वितरण कंपनियों के क्षेत्र में जाकर विद्युत नियामक आयोग टाटा की चारों कंपनियों के परफॉर्मेंस के बारे में आम जनता से राय लेगा। एक तरह से यह प्रयोग फेल साबित हो रहा है। जो प्रयोग उड़ीसा में पूरी तरह विफल रहा है उसी मॉडल को प्रदेश पर लागू करना जनता के साथ धोखा है। इसलिए निजीकरण का प्रस्ताव रद्द किया जाए।
निदेशक वित्त का कार्यकाल बढ़ाने का विरोध:
पावर कॉरपोरेशन के निदेशक वित्त निधि नारंग का कार्यकाल छह माह बढ़ाने के लिए पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष ने शासन को प्रस्ताव भेजा है। निधि नारंग का कार्यकाल पहले ही तीन बार बढ़ाया जा चुका है। यदि इस बार निधि नारंग का कार्यकाल बढ़ता है तो यह उन्हें चौथा सेवा विस्तार होगा। इसकी भनक लगते ही संघर्ष समिति के पदाधिकारी ने विरोध शुरू कर दिया है।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि निदेशक वित्त और ट्रांजैक्शन एडवाइजर कंपनी के बीच गहरे संबंध हैं। उनकी मिलीभगत से ही गलत तरीके से निजीकरण का प्रस्ताव तैयार किया गया। जिस पर विद्युत नियामक आयोग ने तमाम कमियां निकाल कर लौटा दिया है। संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से अपील की है कि वह निजीकरण के नाम पर निदेशक वित्त निधि नारंग के कार्यकाल को चौथी बार बढ़ाने का अनुमोदन न दें।(साभार एजेंसी)