(गोरखपुर) 13सितंबर ,2024.
एजेंसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर रेलवे स्टेशन को देशभर के 28 एनएसजी-1 (गैर उपनगरीय श्रेणी) स्टेशनों में चुना गया है। इसके अलावा लखनऊ जंक्शन, बनारस, छपरा और मऊ स्टेशन एनएसजी-2 श्रेणी में चुने गए हैं।
एनएसजी-3 श्रेणी में 15, एनएसजी-4 में 24, एनएसजी-5 में 78 व एनएसजी-6 श्रेणी में 187 स्टेशन शामिल हैं। वहीं हाल्ट स्टेशन में एचजी-1 श्रेणी में 4, एचजी-2 में 87 एवं एचजी-3 श्रेणी में 100 स्टेशन वर्गीकृत हैं। वर्गीकरण के आधार पर ही स्टेशनों पर सुविधाएं उपलब्ध होती हैं।
सीपीआरओ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि रेलवे स्टेशनों पर सुविधाओं के बेहतर अवस्थापन और देखरेख के लिए सरकार ने इनकी ग्रेडिंग शुरू कराई है। स्टेशन पर हर दिन आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या, स्टेशन परिसर की सफाई, प्लेटफार्म पर मिलने वाली सुविधाओं आदि का आकलन कर एनएसजी-1 श्रेणी में स्टेशनों को चयनित किया जाता है।
अगले पांच वर्ष के लिए स्टेशनों का वर्गीकरण जारी किया गया है। इसमें गोरखपुर स्टेशन को एनएसजी-1 श्रेणी में वर्गीकृत कुल 28 स्टेशनों में शामिल किया गया है।
उन्होंने बताया कि गोरखपुर जंक्शन से वर्ष 2023-24 में यात्रा शुरू करने वाले आरक्षित श्रेणी के यात्रियों की संख्या 53,75,937 एवं अनारक्षित श्रेणी के यात्रियों की संख्या 76,48,820 है। इस तरह यात्रियों की कुल संख्या 1,30,24,757 है। इस अवधि में आरंभिक यात्री यातायात से 591.94 करोड़ की आय हुई। गोरखपुर से ट्रेनों की बढ़ी हुई संख्या और बिहार व नेपाल के लिए सीधी ट्रेन कनेक्टिविटी की सुविधा होने के कारण यात्री यातायात एवं उससे रेल राजस्व में निरंतर वृद्धि हो रही है।
पिछले साल प्रधानमंत्री ने नए भवन का किया था शिलान्यास:
गोरखपुर जंक्शन का नया भवन बनवाया जा रहा है, जिस पर करीब 500 करोड़ रुपये खर्च होने हैं। पिछले साल सात जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका शिलान्यास किया था। नया स्टेशन भवन अगले 50 साल की जरूरत को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। सिटी सेंटर के रूप में इसे विकसित किया जाएगा। एनएसजी-1 श्रेणी में चयनित होने पर यहां यात्री सुविधाओं का और विकास हो सकेगा।
सीपीआरओ पूर्वोत्तर रेलवे पंकज कुमार सिंह ने बताया कि:
गोरखपुर के लिए यह खास उपलब्धि है। यहां से ट्रेनों की संख्या अधिक होने और बिहार-नेपाल समेत अन्य जगहों के लिए भी कनेक्टिविटी होने की वजह से यह उपलब्धि मिली है। इस श्रेणी में आने का मतलब है कि स्टेशन के विकास पर अधिक पैसा खर्च किया जा सकता है। आने वाले समय में यह स्टेशन अपने नए स्वरूप में दिखेगा।(साभार एजेंसी)