पर्यटन सत्र की तैयारी पूरी,खुल रहे हैं अमानगढ़ के द्वार

UP / Uttarakhand

(बिजनौर UP)06नवम्बर,2024.

अमानगढ़ टाइगर रिजर्व में पर्यटकों के लिए तैयारियां तेजी से चल रही है। जहां केहरीपुर वन चौकी और बुकिंग सेंटर इस बार बदले रंग-रूप में नजर आएगा। वहीं केहरीपुर में पर्यटकों को देशी अंदाज में बना कैफेटेरिया, बच्चों के खेलने के लिए मिनी पार्क भी मिलेगा। इसके अलावा रास्तों को तो बेहतर किया ही गया है, साथ ही ऑनलाइन बुकिंग सुविधा भी शुरू कर दी गई है। नए पर्यटन सत्र का उद्घाटन हो रहा है।

वन अधिकारियों ने लिया तैयारियों का जायजा

रेहड़, अमानगढ़ रेंज में छह नवंबर से शुरू होने वाले तीसरे पर्यटन सत्र की तैयारियों को देखने सीएफ मुरादाबाद रमेश चंद्रा एवं डीएफओ बिजनौर ज्ञान सिंह पहुंचे। डीएफओ ने बताया तीसरे पर्यटन सत्र में पर्यटकों की सुविधा के लिए आनलाइन बुकिंग शुरू की गई है। साथ ही रेंज कार्यालय परिसर में कैफेटेरिया और बच्चों के खेलने के लिए मिनी पार्क बनाया जा रहा है। बरसात के चलते सभी टूटे मार्गों की मरम्मत करा दी गई है।

  • रोमांचक है घने जंगल के बीच 35 किमी की जंगल सफारी:
    अमानगढ़ में आने और जाने सहित जंगल सफारी का ट्रैक करीब 35 किलोमीटर निर्धारित है। इसमें करीब 17 किमी जाना और 18 किमी वापिस लौटना शामिल है। इसमें खास बात अमानगढ़ के घने जंगल हैं। यहां पर जंगल सफारी की सड़क के दोनों ओर पुराने बड़े पेड़ तो नजर आते ही हैं, साथ ही सर्दियों के समय जंगल में उठती धुंध पर्यटकों को खूब आकर्षित करती है।

– इसलिए खास है अमानगढ़
अमानगढ़ रेंज कभी कार्बेट पार्क का ही हिस्सा हुआ करती थी। अमानगढ़ रेंज का रकबा 9500 हेक्टेयर है। इसमें करीब 8600 हेक्टेयर क्षेत्र टाइगर रिजर्व के तहत आता है। साल 2012 में अमानगढ़ वन रेंज को टाइगर रिजर्व का दर्जा मिला।

  • सफारी के पर्यटकों को देनी इतनी फीस:
    इस बार भी वन विभाग ने फीस में कोई बदलाव नहीं किया है। सफारी के लिए एक जिप्सी में पांच लोगों को जाने की अनुमति होगी। इसके लिए पर्यटकों को 2280 रुपये फीस देनी होगी। इसमें एक गाइड के लिए 400 रुपये और प्रति पर्यटक 200 रुपये फीस अलग से देनी होगी।

अमानगढ़ में दुर्लभ गिद्ध दिखना भी आसान:
जिले में किसी भी स्थान पर गिद्ध नजर नहीं आते हैं, जबकि अमानगढ़ में इनके बड़े झुंड दिखाई देते हैं। कई बार यहां पर वन अधिकारी और पर्यटक एक साथ 100 से ज्यादा की संख्या में गिद्ध एक साथ देख चुके हैं। इसका बड़ा कारण यहां का घना जंगल और उनके प्राकृतिक आवास बेहतर होना है।

  • लकड़बग्घों ने भी बढ़ाई पर्यटकों की जिज्ञासा
    कुछ साल पहले तक बिजनौर की धरती पर लकड़बग्घों का अता-पता ही नहीं था। करीब पांच साल पहले एक दुर्घटना में दो लकड़बग्घों की मौत हुई तो इनके बारे में पता चला, लेकिन इसके बाद कभी यह दिखाई नहीं दिए थे। पिछले साल हुई बाघ गणना में जो ट्रैप कैमरे लगाए गए, उसमें एक लकड़बग्घे की तस्वीर कैद हो गई थी। इस बार अमानगढ़ में लकड़बग्घों को लेकर जिज्ञासा नजर आ रही है।(साभार एजेंसी)

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