(लखनऊ UP)26दिसम्बर,2024.
लखनऊ के किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में महज 53 हजार रुपये में ही रोबोट के माध्यम से सर्जरी कराई जा सकेगी। संस्थान में रोबोटिक सर्जरी की प्राथमिक फीस को मंजूरी मिल गई है। यह फीस 53 हजार रुपये से 1.15 लाख रुपये तक तय की गई है। संस्थान में पीपीपी मॉडल पर रोबोट लगाया जाना है।
राजधानी लखनऊ में इस समय संजय गांधी पीजीआई के पास अपना रोबोट है। इसकी न्यूनतम फीस एक लाख रुपये के करीब है। रोबोट के माध्यम से सर्जरी की सटीकता और कई अन्य लाभ को देखते हुए पीजीआई में दूसरे रोबोट की खरीद प्रक्रिया शुरू हुई है। वहीं केजीएमयू ने भी अपने यहां रोबोट स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पीपीपी मॉडल पर लगने वाले रोबोट के लिए केजीएमयू प्रशासन ने प्राथमिक फीस तय की है। सर्जरी के आकार और जटिलता के हिसाब से इसकी फीस तय होगी। इसके लिए 53 हजार रुपये से 1.15 लाख रुपये तक की सीमा निर्धारित की गई है। रोबोट शताब्दी फेज-1 भवन में स्थापित किया जाएगा। केजीएमयू प्रवक्ता प्रो. केके सिंह के मुताबिक संस्थान का प्रशासन कम कीमत पर सुरक्षित और श्रेष्ठतम इलाज उपलब्ध कराया जाना है। इसी के तहत रोबोट लगाया जा रहा है।
आएंगे दो रोबोट, इस तरह से करेंगे काम:
केजीएमयू में फिलहाल दो रोबोट आने की बात चल रही है। पहले रोबोट से ऑपरेशन किए जाएंगे और दूसरे का उपयोग बाकी डॉक्टरों को प्रशिक्षण देने के लिए किया जाएगा। शताब्दी फेज एक में पीपीपी मॉडल पर रोबोट लगाया जाना है।
जानें रोबोट कैसे करता है सर्जरी
इस तकनीक का नाम भले ही रोबोटिक सर्जरी हो, लेकिन इसमें भी मुख्य भूमिका डॉक्टर की ही रहती है। बाकी सर्जरी की तरह इसे भी डॉक्टर करते हैं, लेकिन इसमें रोबोट का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें रोबोट का एक भाग मरीज और एक भाग डॉक्टर के पास रहता है। डॉक्टर उसके माध्यम से मरीज से कुछ दूरी पर बैठक सर्जरी को अंजाम देते हैं।
ये हैं रोबोटिक सर्जरी के फ़ायदे :
स्पष्टता- रोबोट में मरीज के भीतरी अंगों की थ्रीडी इमेज बनती है। इससे डॉक्टर को भीतरी अंग स्पष्ट दिखाई देते हैं। सामान्य आंखों से इनको देखना संभव नहीं होता है।
सटीकता- समान्य सर्जरी के समय डॉक्टर चीरे की लंबाई और गहराई का अंदाजा लगाकर काम करते हैं। इससे जरूरत से बड़ा चीरा लगाना पड़ता है। वहीं रोबोट निर्धारित लंबाई और गहराई का ही चीरा लगाते हैं।
कम रक्तस्राव- सटीक चीरा होने की वजह से इसमें खून कम बहता है और घाव भी जल्दी भरता है। इस वजह से मरीज को अस्पताल से जल्द छुट्टी मिल जाती है(साभार एजेंसी)