(लखनऊ UP)11जनवरी,2025.
ब्रह्मोस 18 साल से सेवा में है। आज भी इसका प्रदर्शन अव्वल है। यही वजह है कि जल, थल व नभ सेना में इसका इस्तेमाल हो रहा है। ब्रह्मोस में 200 से अधिक मिश्रधातु, एल्युमिनियम, टाइटेनियम, 23 तरह की रबड़, 50 से 60 तरह के लुब्रिकेंट सहित एक हजार से ज्यादा छोटे-बड़े पार्ट इस्तेमाल होते हैं। इन्हें इंडस्ट्रीज बनाकर सप्लाई करती हैं। ऐसे में डिफेंस सेक्टर में उद्योगों के लिए अपार संभावनाएं हैं। खासतौर पर एमएसएमई के लिए।
यह कहना है ब्रह्मोस एरोस्पेस लिमिटेड के निदेशक (कॉमर्शियल) राजेंद्र नेगी का। वह हिंदुस्तान एरोनॉटिकल लिमिटेड (एचएएल) व फिक्की की राज्यस्तरीय डिफेंस एमएसएमई कॉन्क्लेव में बोल रहे थे। नेगी ने लखनऊ में बन रही ब्रह्मोस यूनिट के बारे में कहा कि इंटीग्रेशन प्लांट बन रहा है। इससे लखनऊ का कद और भी बढ़ जाएगा। अब ब्रह्मोस का निर्यात करने की भी तैयारी है। इससे एमएसएमई की भूमिका और भी बढ़ जाएगी। कॉन्क्लेव में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के सीनियर मैनेजर अविक गुप्ता ने एनएसई इमर्ज विषय पर व्याख्यान दिया। ऐसे ही आईडेक्स के प्रोजेक्ट एग्जीक्यूटिव मनोज कुमार गुप्ता ने एमएसएमई में अवसर, एसके सतपुते ने सृजन पोर्टल की जानकारी दी। नेशनल सिक्योरिटी एंड डिफेंस अर्नेस्ट के निदेशक राहुल गुप्ता ने रक्षा उपकरणों के प्रोक्योरमेंट में सुधार पर जोर दिया।
मिसाइल से टैंक तक बनाने में उद्योग कर रहे मदद:
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के निदेशक डीएमएसआरडीई मयंक द्विवेदी ने बताया कि मिसाइल से लेकर टैंकों तक के निर्माण में एमएसएमई की भूमिका है। आकाश मिसाइल डीआरडीओ ने बनाई, इसके उपकरणों को 254 इंडस्ट्रीज बनाती हैं। जिन रक्षा उपकरणों पर उद्योग बेहतर ढंग से अनुसंधान कर रहे हैं, उन पर डीआरडीओ कम काम कर रहा है। मसलन, यूएवी अनमैन्ड एरियल व्हीकल पर डीआरडीओ नहीं उद्योग ज्यादा काम कर रहे हैं। लेकिन लेजर हथियारों पर डीआरडीओ ताकत लगा रहा है।
170 किस्म के एम्युनेशन देश में बनेंगे:
यूपीडीआईसी के कर्नल संजय सिंह ने बताया कि वर्ष 2024 में 170 तरह के एम्युनेशन(गोला बारूद) को देश में बनाने के रास्ते खोल दिए गए। यह 30 अरब रुपये का मार्केट है। ऐसे में यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर को इससे खासा लाभ होगा। लखनऊ, कानपुर, झांसी इसके तहत हब बनेंगे।
पहले लोकल मतलब होता था लो क्वालिटी…
रक्षा मंत्रालय के अनिल कुमार राय ने डिफेंस एमएसएमई नीतियों पर विचार रखे। कहा कि पहले लोकल मतलब लो क्वालिटी होता था, पर अब वोकल फॉर लोकल ने तस्वीर बदल दी है। भारत विश्वस्तरीय मिसाइलें बना रहा है। 430 कंपनियां, 16000 एमएसएमई काम कर रही हैं।(साभार एजेंसी)