सिंहस्थ 2028 की तैयारी में जुटी म.प्र.सरकार,779 करोड़ की लागत से बनेगा 29 किमी लंबा घाट

MP/ Chhatishgarh

(उज्जैन MP) 03जून,2025.

मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव उज्जैन के अंगारेश्वर महादेव मंदिर परिसर में आयोजित एक कार्यक्रम में पहुंचे। यहां उन्होंने साल 2028 में होने वाले सिंहस्थ महापर्व में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 29 किलोमीटर लंबे घाट निर्माण का भूमि पूजन किया. इसकी लागत लगभग 779 करोड़ रुपए है. साथ ही सीएम यादव ने क्षिप्रा नदी पर 85 करोड़ की लागत से 21 बैराजों का शिलान्यास भी किया. उन्होंने कहा कि, ”आज का कार्यक्रम सच्चे अर्थों में एक धर्म सभा है। मध्य प्रदेश शासन द्वारा देवी अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती मनाई गई.” इस मौके पर सीएम मोहन ने उनके नाम पर एक घाट का नाम रखने की घोषणा की।

29 किमी लंबे घाट का निर्माण:
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम स्थल पर महामंगल भूमिपुत्र अंगारेश्वर महादेव के दर्शन कर पूजन-अर्चन की. कार्यक्रम में भरतनाट्यम, कथक और डमरू नाद की आकर्षक प्रस्तुति दी गई और स्वस्तिवाचन और शंखनाद किया गया।कार्यक्रम में क्षिप्रा नदी पर आधारित आकर्षक नृत्य की प्रस्तुति भी दी गई‌।इस दौरान कार्यकम्र में जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट और प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे‌।

01दिन में करोड़ों श्रद्धालु करेंगे स्नान
सीएम यादव ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा, “सिंहस्थ 2028 की शुरुवात हमारे यहां उज्जैन में हो गई है. यह सिर्फ 864 करोड़ की घाट और बैराज ही नहीं है, बल्कि सिंहस्थ में 24 घण्टे में 5 करोड़ लोग घाटों पर सन्नान और पूजन कर सकेंगे।मैं लोकमाता देवी अहिल्याबाई की जयंती के मौके पर बनने वाले इन घाटों में से एक घाट उनके नाम पर करने की घोषणा करता हूं। क्षिप्रा नदी के गंदे नदी को योजना के तहत शुद्ध किया जाएगा। साथ ही सिलारखेड़ी परियोजना के अंतर्गत बारिश के पानी को सिलारखेड़ी के तालाब में एकत्रित किया जाएगा. बारिश के बाद उसे क्षिप्रा नदी में छोड़ दिया जाएगा. ताकि क्षिप्रा के शुद्ध जल से पूरे साल भर श्रद्धालु स्नान कर सकेंगे.”

सीएम यादव ने अहिल्याबाई के बताए गुण:
सीएम मोहन ने बताया कहा कि, ”आगामी सिंहस्थ में श्रद्धालु नौका विहार का भी आनंद ले सकेंगे. यह रूट वाल्मीकि धाम से सिद्धनाथ तक, शनि मंदिर से गऊघाट तक और लालपुल से रामघाट तक श्रद्धालुओं के लिए होगा.”

सीएम ने अहिल्याबाई को याद करते हुए बताया कि, ”आज के TV वाले सास-ससुर के साथ संबंध कितना उल्टा पुल्टा बताते हैं, लेकिन हमारे यहां ऐसा नहीं है। लोकमाता अहिल्याबाई ने सास, बहु और बेटी का हर किरदार बखूबी निभाया है।”

उन्होंने आगे कहा, “लोकमाता अपने ससुर को मामा और सास को मां कहती थीं।अहिल्याबाई ने सास-सासुर से अद्भुत स्नेह पाया। उनके जीवन में गंगा सी पवित्रता और नर्मदा सी सादगी है। उन्होंने सनातन संस्कृति की रक्षा की। पूरा शासन महादेव को समर्पित कर किया।अपने राज्य में सुशासन के नए कीर्तिमान स्थापित किये।”(साभार एजेंसी)

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