स्कूल-कॉलेजों में हिंदी से मेडिकल-इंजीनियरिंग पढ़ाई,एआई तकनीक से बहुभाषीय कक्षाओं की तैयारी

MP/ Chhatishgarh

(इंदौर MP)07जून,2025.

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने संसद की परामर्शदात्री समिति की बैठक में भाग लिया। इस बैठक में विद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा को बढ़ावा देने पर गंभीर चर्चा की गई। यह जानकारी अधिकारियों द्वारा दी गई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में भारतीय भाषाओं की भागीदारी बढ़ाने की संभावनाओं का मूल्यांकन करना था।

शिक्षा मंत्रालय से जुड़ी समिति की दूसरी बैठक आयोजित
अधिकारियों ने बताया कि धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में संसद की परामर्शदात्री समिति की यह दूसरी बैठक थी, जो शिक्षा मंत्रालय से संबद्ध है। बैठक में केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार भी मौजूद रहे। उच्च शिक्षा विभाग के सचिव विनीत जोशी ने जानकारी दी कि इस बैठक में विशेष रूप से भारतीय भाषाओं के उपयोग से शिक्षा को सुलभ और समावेशी बनाने पर विचार किया गया।

एआई जैसी तकनीक से बहुभाषीय कक्षाओं की संभावना पर विचार:
बैठक के दौरान यह सुझाव भी सामने आया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी आधुनिक तकनीकों की सहायता से ऐसे डिजिटल प्लेटफॉर्म या कक्षाएं विकसित की जाएं, जहां विभिन्न भाषाएं बोलने वाले छात्र एक साथ पढ़ सकें। इसका उद्देश्य यह है कि भाषा की विविधता छात्रों के बीच अवरोध न बने, बल्कि तकनीक की मदद से इसे शिक्षा का साधन बनाया जा सके।

स्थानीय भाषाओं में पेशेवर शिक्षा को मिल रहा बढ़ावा:
सचिव जोशी ने जानकारी दी कि मध्यप्रदेश समेत एक-दो अन्य राज्यों में मेडिकल की पढ़ाई अब हिन्दी में भी करवाई जा रही है। इसके अलावा, बार कौंसिल ऑफ इंडिया ने भी कानूनी पाठ्यक्रमों की पढ़ाई हिन्दी में शुरू की है। उन्होंने आगे बताया कि अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने देश के लगभग 40 उच्च शिक्षा संस्थानों को स्थानीय भाषाओं में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कराने की अनुमति दी है, जिससे छात्रों को मातृभाषा में तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिल रहा है(साभार एजेंसी)

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